अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली के एमए हिंदी प्रोग्राम की संकल्पना को प्रस्तावित करते हुए यह माना जाता है कि इसका पाठ्यक्रम तुलनात्मक, अंतरानुशासनिक, प्रयोगशील तथा अधुनातन प्रकृति का होगा। इस विश्वविद्यालय के ही अन्य अकादमिक कार्यक्रमों तथा पाठ्यक्रमों के साथ-साथ देश के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों तथा यूजीसी के प्रस्तावित पाठ्यक्रम के साथ इसका एक जीवंत अकादमिक रिश्ता होगा। इसके पाठ्यक्रम के विभिन्न पक्ष जैसे इसका मूलभूत विजन, दर्शन तथा संरचना सामाजिक तथा साहित्यिक स्तर पर हाशिए के सरोकारों से प्रेरणा ग्रहण करते रहेंगे। इस प्रोग्राम का इस्तेमाल छात्रों की समाज तथा कला-संस्कृति के बारे में व्यापक समझ विकसित करने के माध्यम के रूप में भी किया जा सकता है। छात्रों की कल्पना-शक्ति तथा रचनात्मक क्षमता के उन्मुक्त विकास के लिए पाठ्यक्रम निरंतर सजग रहेगा। दिल्ली की मान्यताप्राप्त अन्य आधिकारिक भाषाओं जैसे उर्दू तथा पंजाबी के साहित्य का भी अध्ययन व अध्यापन की सामग्री के तौर पर प्रयोग होगा। हिंदी साहित्य के आलोचनात्मक अध्ययन व अध्यापन के अतिरिक्त व्यापक दृष्टि से अन्य भारतीय भाषाओं तथा बोलियों की साहित्य-परंपरा को भी सम्मिलित किया जाएगा। शोध, अध्यापन तथा सामाजिक विषयों के मध्य अन्योन्याश्रित संबंध का ध्यान रखा जाएगा। पाठ्यक्रम में छात्रों के साहित्य संबंधी ज्ञान के विकास के साथ-साथ उनकी विशेष क्षेत्र में दक्षता व विशेषज्ञता के विकास को प्रोत्साहित किया जाएगा। समाज में चल रहे परिवर्तन, आंदोलन, प्रवृत्तियां किस प्रकार साहित्य को प्रेरित व प्रभावित करती हैं तथा साहित्य किस प्रकार न्यायपूर्ण व समानता पर आधारित समाज के निर्माण की प्रक्रिया पर असर डालता है, पाठ्यक्रम में इन चीजों के अध्ययन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। एमए हिंदी कार्यक्रम ऐसे विद्यार्थियों की परिकल्पना करता है जो शोध, रोजगार व अकादमिक कौशल के नवीन अवसरों का प्रयोग करने में सक्षम होंगे तथा संवैधानिक मूल्यों के अंतर्गत अपनी सामाजिक-सांस्कृतिक संवेदनशीलता को व्यक्त करने में विश्वास रखेंगे। इस प्रोग्राम में स्नातक स्तर पर विभिन्न विषयों से जुड़े विद्यार्थियों के चयन पर बल रहेगा तथा प्रवेश-परीक्षा सभी प्रकार के विषयों, अनुशासनों व भाषाई समूहों के विद्यार्थियों के लिए खुली रहेगी। संपूर्ण बनावट में यह कार्यक्रम अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली के मूलभूत उद्देश्य और विजन के साथ तालमेल पर आधारित होगा। यह निर्भीक संवाद, नवाचार, वैचारिक लोकतांत्रिकता व मौलिक चिंतन पर आधारित विद्वता के विकास के लिए प्रतिबद्ध रहेगा। पाठ्यक्रम के स्वरूप, प्रोग्राम की संरचना व मूल्यांकन के तरीकों में इस संकल्पना की विशेषताओं को परिलक्षित किया जा सकता है।
डॉ. बी. आर. अम्बेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली