Course Type | Course Code | No. Of Credits |
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Foundation Core | SOL2HN106 | 4 |
Semester and Year Offered: Monsoon Semester, 2021
Course Coordinator: Awadhesh Kumar Tripathi
Email of course coordinator: awadhesh[at]aud[dot]ac[dot]in
Pre-requisites: None
Course Objectives/Description:
पूर्व और पश्चिम दोनों जगहों पर काव्यशास्त्र पर इतना वृहद विचार होना यह साबित करता है कि काव्यकला को समुन्नत करने के लिए मनुष्य लंबे समय से चिंतन-मनन करता रहा है। कविता को केवल कवि प्रतिभा पर ही नहीं छोड़ दिया गया बल्कि कवि शिक्षा के माध्यम से उसके परिमार्जन का उपक्रम भी किया गया। यहां तक कि पाठक, स्रोता, दर्शक यानी सहृदय को भी सुरुचिसंपन्न बनाने के बारे में चिंतन उपलब्ध है। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य भारतीय और पाश्चात्य काव्यशास्त्र की परंपराओं से विद्यार्थी को परिचित कराना है।
Course Outcomes:
भारतीय कविता को समझने के प्राचीन काव्य-सिद्धांतों का बोध विकसित करना।पाश्चात्य कविता को समझने के प्राचीन काव्य-सिद्धांतों का बोध विकसित करना।काव्यात्मक सांस्कृतिक परम्परा का बोध पैदा करना।विविध कलाओं पर लागू होने वाले एक जैसे सिद्धांत कलाओं की परस्पर संबद्धता को रेखांकित करते हैं। कलाओं की परस्पर संबद्धता का बोध पैदा करना।
Brief description of modules/ Main modules:
Module One:
भारतीय साहित्यशास्त्र के अध्ययन के क्रम में सर्वप्रथम हम काव्य के हेतु, काव्य के लक्षण और काव्य के प्रयोजन पर चर्चा करेंगे। इस मॉड्यूल में विभिन्न आचार्यों द्वारा कविता क्या है? किसके लिए है? और कविता के लक्षण क्या हैं जैसे प्रश्नों पर किये गये विचारों से विद्यार्थी को अवगत करायेंगे। तत्पश्चात रस, अलंकार, रीति, ध्वनि, वक्रोक्ति और औचित्य संप्रदाय के प्रमुख आचार्यों व उनके सिद्धांतों से विद्यार्थियों को परिचित करायेंगे। ये सभी संप्रदाय काव्य के अलग-अलग तत्वों को उसकी आत्मा मानकर काव्य का विवेचन करने पर जोर देते हैं। साथ ही इन संप्रदायों के दार्शनिक व सामाजिक आधार भी हैं। कक्षा में विद्यार्थी से इन आधारों की चर्चा भी की जायेगी।
Module Two:
इस मॉड्यूल में विद्यार्थियों को काव्यशास्त्र की प्रमुख अवधारणाओं और सिद्धांतों से परिचित कराया जायेगा। रस निष्पत्ति का प्रश्न और साधारणीकरण की अवधारणा भारतीय काव्यशास्त्र की उस वृहद दृष्टि को सामने रखती हैं जो कला को केवल कलाकार का मसला नहीं समझती। यह कला के प्रभावी संप्रेषण के लिए रसिक या भावक की धारणा पेश करती है। यह दृष्टि काव्य के गुणों पर विचार करती है तो काव्य के दोषों की भी चर्चा करती है। भारतीय काव्यशास्त्र शब्द से अर्थ के बोध को निर्मित करने वाली शक्तियों पर भी विचार करता है और इसे शब्द शक्ति कहता है।
इस मॉडयूल में विद्यार्थी जिन धारणाओं से परिचित होंगे वे इस प्रकार हैं -
रस निष्पत्ति, साधारणीकरण, शब्द शक्ति, काव्यगुण, काव्यदोष
Module Three
पाश्चात्य काव्यशास्त्र का आरंभ ग्रीक विचारकों प्लेटो और अरस्तू से माना जाता है। यद्यपि काव्य पर विचार करना उनका उद्देश्य न था फिर भी आदर्श राज्य पर विचार करते हुए उसमें कलाओं की स्थिति पर भी कुछ बातें कही हैं। पश्चिमी दर्शन की भाववादी परंपरा का आरंभ भी इन्हीं विचारकों से माना जाता है। इस मॉड्यूल में हम विद्यार्थी को प्लेटो के काव्य सिद्धांतों के साथ-साथ अरस्तू के अनुकरण सिद्धांत, विरेचन सिद्धांत और त्रासदी के विवेचन के बारे में अवगत करायेंगे। पश्चिम का रोमांटिक आंदोलन जिन सिद्धांतों पर विकसित हुआ उनमें विलियम वर्ड्सवर्थ का काव्यभाषा संबंधी सिद्धांत और सैम्युअल कॉलरिज का कल्पना और फैंटेसी संबंधी सिद्धांत प्रमुख है। इस मॉड्यूल में निम्नलिखित सिद्धांतों की चर्चा की जायेगी-
प्लेटो के काव्य संबंधी विचार, अरस्तू - अनुकरण सिद्धांत, विरेचन सिद्धांत, त्रासदी विवेचन, वर्ड्सवर्थ- काव्यभाषा सिद्धांत, कॉलरिज - कल्पना और फैंटेसी
Module Four:
पाश्चात्य काव्यशास्त्र पर टी.एस. इलियट और आई.ए. रिचर्ड्स के काव्य सिद्धांतों ने लंबे समय तक अपना प्रभाव बनाये रखा। इलियट ने निर्वैयक्तिकता और परंपरा के सिद्धांत के जरिये रोमांटिक दौर की वैयक्तिकता पर निर्णायक प्रश्न खड़े किये। वे वैयक्तिक प्रज्ञा को परंपरा के अविच्छिन्न प्रवाह में रखकर देखने का आग्रह करते हैं। इसी तरह रिचर्ड्स ने मूल्य, संप्रेषण और काव्यभाषा के प्रश्न को साहित्य के केन्द्र में खड़ा कर दिया। पश्चिम के नयी समीक्षा आंदोलन ने भी साहित्य पर गहरा प्रभाव छोड़ा। बाद में कविता के मूल्यांकन के लिए परंपरागत प्रतिमानों से अलग कुछ नयी धारणाओं ने भी विमर्श में केन्द्रीयता प्राप्त कर ली। इनमें बिम्ब, प्रतीक मिथक, फन्तासी और कल्पना आदि प्रमुख हैं। इस मॉड्यूल में निम्नलिखित सिद्धांतों पर चर्चा की जायेगी-
टी.एस. इलियट- निर्वैयक्तिकता का सिद्धांत, परंपरा की अवधारणाआई.ए. रिचर्ड्स- मूल्य सिद्धांत, संप्रेषण सिद्धांत, काव्यभाषा सिद्धांतरूपवाद, नयी समीक्षा, बिम्ब, प्रतीक, मिथक, फंतासी, कल्पना
Assessment Details with weights:
S. No. | Assessment | Weightage |
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1 |
Class Assignment | 25% |
2 |
Mid-semester Exam | 25% |
3 |
End Sem Exam | 25% |
4 | Term Paper | 25% |
Reading List:
- पाश्चात्य काव्यशास्त्र - देवेन्द्रनाथ शर्मा
- भारतीय साहित्यशास्त्र- गणेश त्रयंबक देशपांडे
- भारतीय काव्यशास्त्र की आचार्य परंपरा - राधावल्लभ त्रिपाठी