Course Type | Course Code | No. Of Credits |
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Discipline Core | SOL2HN309 | 4 |
Semester and Year Offered: 3, 2021
Course Coordinator: डॉ. निकिता जैन एवं डॉ. अनंत विजय पालीवाल
Email of course coordinator: njain[at]aud[dot]ac[dot]in & apaliwal[at]aud[dot]ac[dot]in
Pre-requisites: As per AUD guideline
Course Objectives/Description:
एम.ए के विद्यार्थियों के लिए ‘बाल साहित्य और हिंदी’ पाठ्यक्रम का निर्माण केवल साहित्य में इसकी उपस्थिति के आंकलन के उद्देश्य से नहीं किया गया है बल्कि इसलिए किया गया है जिससे विद्यार्थी ‘बाल-साहित्य’ की पृष्ठभूमि को भलीभांति समझ पाएं और उसके प्रति एक व्यापक दृष्टि निर्मित कर पायें ताकि वर्तमान समय में ‘बाल-लेखन’ के प्रति हिंदी की नयी पीढ़ी में सजगता के साथ-साथ रूचि भी पैदा हो सके | दरअसल हिंदी साहित्य की जब बात उठती है तो उसमें ‘बाल-साहित्य’ की चर्चा आज भी न के बराबर होती है और अगर होती भी है तो केवल गिने-चुने रचनाकारों की कृतियों को गिनाकर यह विषय वहीं समाप्त कर दिया जाता है | अधिकतर लोग जानते ही नहीं हैं कि हिंदी में ‘बाल साहित्य’ लेखन की एक समृद्ध परम्परा रही है और आज भी है | प्रस्तावित पाठ्यक्रम में विद्यार्थियों को ‘हिंदी बाल-साहित्य’ की इसी समृद्ध परम्परा से परिचित कराते हुए निर्धारित पाठों के द्वारा एक बच्चे के जीवन-सघर्षों, बाल-मनोविज्ञान के विभिन्न सिद्धांतों की पूरी जानकारी उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी ताकि विद्यार्थी बाल मानस पटल पर उतर कर उनकी समस्याओं को समझने में सक्षम हो सकें और भविष्य में केवल बाल साहित्यकार के रूप में ही नहीं बल्कि बाल परामर्शदाता के रूप में भी प्रस्तावित पाठ्यक्रम विद्यार्थियों,समाज और राष्ट्र के लिए लाभकारी सिद्ध हो |
Course Outcomes:
- प्रस्तुत पाठ्यक्रम में निर्धारित पाठ विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों पर केन्द्रित हैं जिससे विद्यार्थियों के भाषायी कौशल एवं सम्प्रेषणीय क्षमता का विकास होगा |
- ‘बाल-साहित्य’ के स्वरुप एवं विकासक्रम के अध्ययन के द्वारा विद्यार्थी समय के साथ इसमें आये बदलावों को विवेचित कर उन्हें आधुनिक संदर्भों में विश्लेषित कर पाएंगे |
- निर्धारित पाठों के माध्यम से विद्यार्थी हिंदी के प्रसिद्ध रचनाकारों एवं प्रमुख बाल साहित्यकारों की कृतियों का तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत करने में सक्षम हो पायेंगे |
- ‘बाल-साहित्य या लेखन’ केवल बाल मनोरंजन तक सीमित नहीं है बल्कि वर्तमान समय में राष्ट्र, समाज, साहित्य में इसकी क्या आवश्यकता है, इस पहलू से भी विद्यार्थी भलीभांति परिचित हो सकेंगे |
- प्रस्तावित पाठ्यक्रम विद्यार्थियों में ‘बाल-लेखन’ के प्रति सकारात्मकता का संचार करेगा और भविष्य में रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा
Brief description of modules/ Main modules:
माड्यूल 1:
प्रस्तावित पाठ्यक्रम का प्रथम मॉड्यूल ‘बाल साहित्य की अवधारणा और हिंदी में इसके उद्भव एवं विकास’ पर मुख्यत: केन्द्रित रहेगा | बाल-साहित्य की विकासयात्रा को विश्लेषित करते हुए विद्यार्थी हिंदी की प्रमुख बाल-पत्रिकाओं से भी रूबरू होंगे जिन्होंने केवल हिंदी क्षेत्रों में ही बाल-लेखन की जड़ों को मजबूत नहीं किया बल्कि पूरे भारत में बाल-साहित्य की नींव को सुदृढ़ बनाया | इस क्रम में विद्यार्थी मुख्य रूप से भारतेंदु हरिश्चंद्र, (बालदर्पण, बालाबोधिनी), पंडित सुदर्शनाचार्य (शिशु), पंडित बदरीननाथ भट्ट (बालसखा), बाल शोरि रेड्डी (चंदा मामा), जयप्रकाश भारती (नन्दन) आदि प्रमुख बाल लेखकों एवं पत्रिकाओं का समालोचनात्मक मूल्यांकन आधुनिक संदर्भों में प्रस्तुत करने में सक्षम हो सकेंगे | इसके अतिरिक्त इस मॉड्यूल में विद्यार्थी बाल-साहित्य की विकासयात्रा को जानते हुए समय के साथ बाल साहित्य में आये बदलावों को भी गहनता के साथ रेखांकित कर पायेंगे |
निर्धारित पाठ :-
- बाल साहित्य का स्वरुप और विकास
- बाल साहित्य की अवधारणा एवं स्वरुप
- हिंदी बाल साहित्य का उद्भव एवं विकास
- हिंदी बाल पत्रकारिता : एक नज़र
- बाल साहित्य में बाल- रचनाकारों की भूमिका
माड्यूल 2:
बाल साहित्य को मोटे तौर पर दो रूपों में देखा जा सकता है पहला –उपयोगी बाल साहित्य और दूसरा रचनात्मक बाल साहित्य | ‘उपयोगी बाल साहित्य’ में जानकारीपूर्ण एवं तथ्यात्मक साहित्य शामिल रहता है जबकि रचनात्मक बाल साहित्य में कहानी, नाटक, कविता आदि | अधिकतर बाल-रचनाकार रचनात्मक बाल साहित्य को ही वास्तविक ‘बाल-साहित्य’ की श्रेणी में रखते हैं क्योंकि बच्चों के लिए रचा गया यह साहित्य मूलत: उनके आनंद के लिए तो होता ही है और उन्हें सहज ही शिक्षा भी प्रदान करता है | प्रस्तुत मॉड्यूल इसी ‘रचनात्मक साहित्य’ पर आधारित है जिसके अंतर्गत हिंदी की बाल कहानियों,उपन्यासों तथा अन्य गद्य विधाओं के साहित्य को शुमार किया गया है | हालांकि एम.ए के विद्यार्थियों के स्तर को ध्यान में रखते हुए इस मॉड्यूल में अधिकतर बाल केन्द्रित कथा साहित्य को ही स्थान दिया गया है| इसके साथ ही प्रस्तुत माड्यूल में हिंदी के अलावा बांग्ला, उर्दू एवं अन्य भाषाओं की अनूदित साहित्य को भी रखा गया है जिससे विद्यार्थी हिंदी के अतिरिक्त अन्य भाषाओं में लिखे गए बाल-साहित्य का अध्ययन कर उसका तुलनात्मक विश्लेषण करने में भी सक्षम हो सकें |
निर्धारित पाठ :-
बाल केन्द्रित हिंदी कथा साहित्य -
कहानियाँ :- (कोई छ: कहानी)
- प्रेमचंद – गुल्ली डंडा
- नलिन विलोचन शर्मा – विष के दांत
- जैनेन्द्र कुमार – अपना-अपना भाग्य
- मार्कंडेय – पानफूल
- हरिकृष्ण देवसरे – मैं पढ़ नहीं सका / पापा मम्मी को मत मारो (कोई एक)
- प्रकाश मनु – जादू
- मृदुला गर्ग – बाल गुरु
- अलका सरावगी – कभी शैतानी न करने वाला लड़का
बाल केन्द्रित हिंदी उपन्यास :-
- रामबृक्ष बेनीपुरी – बगुला भगत
- मन्नू भंडारी – आपका बंटी
अनूदित साहित्य (कहानियाँ)
- अमृता प्रीतम – देवताओं की सभा में लेखक (पंजाबी)
- महाश्वेता देवी – कंजूस मालिक (बांग्ला)
- इस्मत चुगताई – कामचोर (उर्दू)
- गिजूभाई बधेका – सबसे भली चुप्प / चिड़िया (गुजराती) – {कोई एक}
उपन्यास -
आश्चर्य लोक में एलिस -लुईस कैरोल (एलिस इन वंडरलैंड का अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद)
अन्य हिंदी गद्य विधाएं
- महादेवी वर्मा – गिल्लू (संस्मरण)
- हरिशंकर परसाई – चूहा और मैं (व्यंग्य)
- दिविक रमेश – मुसीबत की हार (नाटक)
माड्यूल 3:
प्रस्तावित मॉड्यूल मुख्यत: ‘हिंदी की बाल कविताओं’ पर केन्द्रित रहेगा | इस मॉड्यूल में कुछ चुनिन्दा बाल-कविताओं का अध्ययन करते हुए विद्यार्थी इस पहलू से परिचित हो पायेंगे कि आज हिंदी के पास जो श्रेष्ठ बाल-साहित्य की धरोहर है उसमें विशेष रूप से साहित्य बाल - कविता के रूप में मौजूद है | इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि साहित्य की अन्य विधाओं में अच्छा बाल साहित्य नहीं मिलता लेकिन कविताओं के माध्यम से स्वाधीनता पूर्व और स्वाधीनता पश्चात् कवियों ने जिस तरह से देश की परिस्थितियों को सरल-सहज शब्दों में रखा उसकी तुलना किसी अन्य विधा में लिखे साहित्य से नहीं की जा सकती | और यह भी एक सच है कि कविताओं और गीतों की पंक्तियाँ एवं धुनें बालमन पर जितना अधिक प्रभाव छोड़ती हैं उतनी प्रभावशाली साहित्य की कोई और विधा नहीं हो सकती | यही वजह है कि 21 वीं सदी में भी सोहनलाल द्विवेदी, रामनरेश त्रिपाठी, दिनकर, रघुवीर सहाय की कविताएँ उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उस समय में थीं | विद्यार्थी निर्धारित पाठ द्वारा तत्कालीन युगीन परिस्थितियों तथा साहित्यिक प्रवृतियों का विश्लेषण आज के सन्दर्भ में करने की कोशिश करेंगे ताकि ‘बाल-कविता’ के विकासक्रम की तस्वीर उनके ज़ेहन में स्पष्ट हो सके तथा समय के साथ बाल कविता की विषयवस्तु, भाषा, शैली में क्या-क्या परिवर्तन हुए हैं इन सभी आयामों को भी विवेचित करने में वह सक्षम हो सकें |
निर्धारित पाठ :-
बाल केन्द्रित हिंदी कविताएं –
- नज़ीर अकबराबादी – बचपन के मज़े |
- सोहनलाल द्विवेदी – (क) क्यों ? (ख) कोशिश करने वालों की हार नहीं होती |
- सुभद्रा कुमारी चौहान – मेरा बचपन |
- रामधारी सिंह दिनकर – (क) चाँद का कुर्ता (ख) किसको नमन करूँ मैं भारत |
- सर्वेश्वर दयाल सक्सेना – (क) बतूता का जूता (ख) नेता और गदहा |
- सुमित्रानंदन पंत - ग्राम श्री
माड्यूल 4:
प्रस्तुत मॉड्यूल में विद्यार्थी साहित्य से इत्तर हिंदी सिनेमा के इतिहास को टटोलते हुए ‘बाल केन्द्रित फिल्मों’ का अध्ययन करेंगे जिससे वह इस पहलू की पड़ताल करने में सक्षम हो सकें कि हिंदी सिनेमा अपने सौ वर्ष के जीवनकाल में बच्चों की समस्याओं को पर्दे पर उतारने में कितना सफल हो पाया है | 900 से 1000 फिल्में प्रतिवर्ष बनाने वाला हिंदी सिनेमा आज भी ‘बाल सिनेमा’ के क्षेत्र में इतना पिछड़ा क्यों है ? ‘बाल-सिनेमा’ के इतिहास में चिल्ड्रेन ऑफ़ हैवेन जैसी एक भी फिल्म आज तक क्यों नहीं बन पायी ? अधिकतर बाल-फिल्मों की कहानियां बच्चों को उपदेश देते हुए ही क्यों दिखाई पड़ती हैं? कार्टून तथा एनीमेशन फिल्मों ने क्या इस स्थिति में कोई सुधार किया है ? निर्धारित फिल्मों द्वारा इन सभी प्रश्नों के जवाबों को गहराई से विवेचित करने का प्रयास किया जायेगा ताकि विद्यार्थी न केवल बाल सिनेमा के महत्त्व और उसकी प्रासंगकिता से परिचित हों बल्कि भविष्य में इस दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित भी हो सकें |
निर्धारित पाठ :-
बाल केन्द्रित हिंदी सिनेमा
- किताब – गुलज़ार
- मासूम – शेखर कपूर
- ब्लू अम्ब्रेला - विशाल भारद्वाज
- तारे ज़मीन पर – आमिर खान
- स्टेनली का डिब्बा - अमोल गुप्ते
Assessment Details with weights:
S. No. | Assessment | Weightage |
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1 |
Class Assignment | 20% |
2 |
Mid-semester Exam | 30% |
3 |
Class Presentation | 20% |
4 |
Term Paper | 30% |
Reading List:
- दर्शन -दिग्दर्शन, राहुल सांकृत्यायन, किताब महल, दिल्ली, 2018
- बौद्ध धर्म दर्शन, आचार्य नरेंद्र देव, मोतीलाल बनारसीदास, वाराणसी, 2017
- गीता हृदय, सहजानन्द सरस्वती, http://www.hindisamay.com/content/1609/1/सहजानन्द-सरस्वती-रचनावली-स्वामी-सहजानन्द-सरस्वती-रचनावलीखंड-3.cspx
- राजयोग, विवेकानन्द, प्रभात प्रकाशन, दिल्ली, 2014
- देश की बात, देव नारायण द्विवेदी, http:/ndl.iitkgp.ac.in/document/MmJBMDNsUjEwVEpjQ TlndG5 Geit0TGtXek50d2tiVE lCUkl6REdsNmZDRT0
- पृथ्वीपुत्र, वासुदेव शरण अग्रवाल, प्रभात प्रकाशन, दिल्ली, 2018
- परिवर्तन और विकास के सांस्कृतिक आयाम, पूरनचंद्र जोशी, राजकमल, दिल्ली, 2009
- संस्कृति के चार अध्याय, रामधारी सिंह दिनकर, लोकभारती, प्रयागराज, 2011
- श्रृंखला की कड़ियां, महादेवी वर्मा, लोकभारती, प्रयागराज, 2016
- आज भी खरे हैं तालाब, अनुपम मिश्र, प्रभात, दिल्ली, 2019
- राजस्थान की रजत बूंदें, अनुपम मिश्र, गांधी शांति प्रतिष्ठान, दिल्ली, 1995
- अन्न कहां से आता है, सुषमा नैथानी, नेशनल बुक ट्रस्ट, दिल्ली, 2020
- बिहार की नदियां, हवल्दार त्रिपाठी, बिहार हिंदी ग्रंथ अकादमी, पटना, 2012
Reading List:
- आलेख – बचपन की अवधारणा और बाल साहित्य, कृष्ण कुमार. https://www.eklavya.in/magazine-activity/sandarbh-magazines/171-sandarbh-from-issue-81-to-90/sandarbh-issue-81/480-bachpan-ki-avdharana-aur-baal-sahitya
- आलेख – बालसाहित्य का विकासयुग : साहित्य में बचपन की दस्तक, ओमप्रकाश कश्यप, https://omprakashkashyap.wordpress.com/
- आलेख – बाल पत्रिकाओं की भूमिका और दायित्व, देवेन्द्र कुमार ‘देवेश’, http://asbmassindia.blogspot.com/2012/01/blog-post_8742.html
- हिंदी बाल साहित्य का इतिहास, प्रकाश मनु, प्रभात प्रकाशन, दिल्ली, 2019
- .बाल साहित्य : मेरा चिंतन, डॉ. हरिकृष्ण देवसरे, मेधा बुक्स, दिल्ली, 2000.
- श्रेष्ठ बाल कहानियाँ,बाल शोरि रेड्डी, भारतीय भाषा परिषद् , कलकत्ता, 1993.
- साहित्य अमृत पत्रिका, बाल साहित्य विशेषांक , अप्रैल -2012.
- बाल साहित्य इक्कीसवीं सदी में, जयप्रकाश भारती, अभिरुचि प्रकाशन.
- बालगीत साहित्यः इतिहास और समीक्षा, निरंकार देव सेवक, उ.प्र.हिन्दी संस्थान, लखनऊ .
- हिन्दी बाल कविता का इतिहास, प्रकाश मनु, मेधा बुक्स, नई दिल्ली.
- हिन्दी बाल पत्रकारिताः उदभव और विकास,सुरेन्द्र विक्रम,साहित्यवाणी, इलाहाबाद.
- हिन्दी बाल साहित्य की रूपरेखा,डा. श्रीप्रसाद,लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद .
- सम्पूर्ण बाल साहित्य,रामवृक्ष बेनीपुरी,प्रभात प्रकाशन, दिल्ली.
- हरिकृष्ण देवसरे की चुनिन्दा बाल कहानियां, नेशनल बुक ट्रस्ट, दिल्ली 2013.
- बाल कहानियाँ - प्रकाश मनु - आत्माराम एण्ड संस, नई दिल्ली |
- हिंदी कथा साहित्य में बाल विमर्श- डॉ. प्रीति अग्रवाल, नवजागरण प्रकाशन ।