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भाषा विज्ञान

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Course Type Course Code No. Of Credits
Foundation Core SOL2HN105 4

Semester and Year Offered: Third Semester

Course Coordinator: Dr Vaibhav

Email of course coordinator: vaibhav[at]aud[dot]ac[dot]in

Pre-requisites: None

Course Objectives/Description: इस कोर्स में भाषा विज्ञान के विभिन्न सिद्धांतों तथा शाखाओं का अध्यापन किया जाएगा। विद्यार्थी भाषाओं के इतिहास तथा भाषा की निर्माणक इकाइयों के विश्लेषण के माध्यम से भाषा विज्ञान के बारे में संतुलित समझ विकसित कर सकेंगे। बोलियों के विकास के बारे में बारे में अध्यापन के साथ ही इसके अंतर्गत भारतीय आर्यभाषाओं के इतिहास की जानकारी दी जाएगी और हिंदी के शब्द भंडार तथा उसके व्याकरणिक स्वरूप के विषय में अध्यापन किया जाएगा। इसमें प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिक भारतीय आर्यभाषा के विकासक्रम का परिचय प्रदान करने के साथ-साथ भाषाओं के वर्गीकरण के आधारों के विषय में बताया जाएगा। लिपियों खासकर देवनागरी लिपि की विकासप्रक्रिया से परिचित कराया जाएगा। इस कोर्स के अंतर्गत भाषाil रूपों की तीन प्रमुख श्रेणियों- बोलियों, प्रयुक्तियों, शैलियों- का विशेष रूप से अध्यापन किया जाएगा तथा भाषा चूंकि एक सामाजिक व्यवहार की वस्तु है, और आधुनिक भाषा विज्ञान के विकास में नृ-वैज्ञानिकों की बड़ी भूमिका है, इसलिए इसके व्यवहारवादी पक्ष (behavioral approach) का भी अध्यापन में प्रयोग किया जाएगा। चूंकि हर भाषा शब्द एवं वाक्यों के प्रयोग के नियमों से बद्ध होती है इसलिए इस कोर्स के अंतर्गत रूप विज्ञान और वाक्य विज्ञान का भी अध्यापन किया जा सकेगा। इसके अलावा ध्वनि विज्ञान (phonetics) तथा स्वनिम विज्ञान (phonology) के अंतर को स्पष्ट करते हुए विद्यार्थियों को भाषा संरचना के बारे में व्यापक परिचय दिया जाएगा।

Course Outcomes:

भाषा विज्ञान के अंगों तथा शाखाओं के ज्ञान का विकास·भाषा विज्ञान के सैद्धांतिक पक्ष से अवगत कराना·भारतीय आर्य भाषाओं के ऐतिहासिक विकासक्रम की जानकारी·हिंदी के शब्दों भेदों, भाषा की लघुतम इकाइयों तथा व्याकरण के विकासक्रम का विवरण·लिपि के उद्भव व विकास के इतिहास और देवनागरी लिपि के बारे में विशेष जानकारी प्राप्त होना· हिंदी भाषा के विविध संदर्भों के बारे में ज्ञान का विकास

Brief description of modules/ Main modules:

माड्यूल-1

जिस प्रकार से इतिहास, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र के वैज्ञानिक अध्ययन का प्रयास किया गया है उसी प्रकार से भाषाओं के वैज्ञानिक अध्ययन को भी प्रोत्साहित किया गया है। प्राचीन समाजों में भी भाषा का अध्ययन होता था पर वह भाषावैज्ञानिक अध्ययन न होकर किसी एक भाषा विशेष की सीमा तक केंद्रित रहता था, जबकि आधुनिक काल में विभिन्न भाषाओं तथा उनके व्यवहारिक प्रयोगों का तुलनात्मक-ऐतिहासिक अध्ययन किया जा सकता है और उनके व्याकरण तथा शब्दभंडार इत्यादि को ध्यान में रखकर समाज व भाषा के संबंध की पड़ताल की जाती है। विश्व की विभिन्न भाषाओं के साम्य तथा उनके संबंध के आधार पर उनका वर्गीकरण किया जाता रहा। इस प्रकार एक विज्ञान के रूप में भाषाविज्ञान का आविर्भाव 19वीं सदी में हुआ। इस माड्यूल में भाषा और भाषाविज्ञान की परिभाषा को स्पष्ट करते हुए भाषा विज्ञान की पद्धतियों तथा समाज भाषाविज्ञान के महत्त्व के विषय में अध्यापन किया जाएगा

भाषा का स्वरूप और भाषा विज्ञान

भाषा और भाषाविज्ञान की परिभाषाभाषा और संप्रेषणभाषा विज्ञान की अध्ययन पद्धतियांसमाज भाषाविज्ञान
संदर्भ पुस्तकें

भाषाविज्ञान- भोलानाथ तिवारीहिंदी भाषा- हरदेव बाहरीभाषाशास्त्र की रूपरेखा- उदयनारायण तिवारीभाषा और समाज- रामविलास शर्माभाषाविज्ञान एवं भाषाशास्त्र- कपिलदेव त्रिवेदी

माड्यूल-2

हिंदी को भारत के मध्यदेश की प्रमुख भाषा माना जाता है और इसके इतिहास सैकड़ों साल में निर्मित होता रहा है। हिंदी की जनपदीय बोलियों ने भी हिंदी के विकास में सहायता प्रदान की है और उसके मानकीकरण में अपनी भूमिका का निर्वाह किया है। इसी प्रकार उर्दू तथा साहित्यिक हिंदी को भी आपस में जुड़ा हुआ माना जाता है। उर्दू को खड़ी बोली हिंदी की शैली माना जाता है और भाषा के धार्मिक आधार को गलत सिद्ध किया जाता है। इस माड्यूल में जहां एक ओर प्राचीन काल से चली आ रही हिंदी तथा उसकी लिपि की विकास परंपरा का अध्यापन होगा, वहीं हिंदी-उर्दू संबंध तथा हिंदी के विविध संदर्भो के विषय में अध्यापन किया जा सकेगा।

हिंदी भाषा का विकास और उसकी लिपि

हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि के विकास का इतिहासहिंदी की विविध बोलियां और उनके क्षेत्रहिंदी-उर्दू संबंधहिंदी के विविध संदर्भ (राजभाषा, राष्ट्रभाषा, संपर्क भाषा, अंतरराष्ट्रीय पटल पर हिंदी)
संदर्भ पुस्तकें

भाषा और समाज- रामविलास शर्माभारत की भाषा समस्या और हिंदी- रामविलास शर्माहिंदी की आत्मा- डाक्टर धर्मवीरहिंदी भाषा- भोलानाथ तिवारीहिंदी का सामाजिक संदर्भ- रवींद्रनाथ श्रीवास्तव एवं रमानाथ सहाय

माड्यूल- 3

इस माड्यूल में भाषा के समाजभाषावैज्ञानिक आयामों के विषय में अध्यापन किया जाएगा और इसी सिलसिले में वाक्य रचना के आधार व प्रकार के बारे में विद्यार्थियों को बताया जाएगा। प्रोक्ति, जिसका संबंध सामाजिक व्यवहार व अन्योन्य क्रियाओं में हुए भाषिक व्यवहार की संपूर्ण इकाई से है, के विषय में अवगत कराया जाएगा। इसी खंड मं शब्द के विविध वर्ग, शब्द रूप, शब्द निर्माण प्रक्रिया, पारिभाषिक शब्दावली निर्माण आदि के विषय में पढ़ेंगे। इसी माड्यूल में शब्द के अर्थगत अध्ययन पर बल दिया जाएगा तथा वाचक, लक्षणा तथा व्यंजना से पैदा होने वाले अर्थों के साथ एकार्थी-अनेकार्थी या विलोम-विपरीतार्थक शब्दों की अर्थव्यंजना के विषय में अध्यापन किया जाएगा।

वाक्य विज्ञान, प्रोक्ति एवं अर्थ विज्ञानवाक्य रचना के आधार तथा प्रकारप्रोक्ति का स्वरूप, प्रोक्ति का विश्लेषणशब्द और अर्थ का संबंधअर्थप्रतीति और अर्थ परिवर्तन

संदर्भ पुस्तकें

अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान- रवींद्रनाथ श्रीवास्तवभाषाविज्ञान की भूमिका- देवेंद्रनाथ शर्माभाषा- ब्लूमफील्ड (अनुवाद- विश्वनाथ प्रसाद)हिंदी भाषा का इतिहास- धीरेंद्रनाथ वर्मा

माड्यूल - 4

इस माड्यूल में भाषा की विभिन्न इकाइयों के रूप में स्वन विज्ञान तथा स्वनिम विज्ञान के विषय में अध्यापन किया जाएगा ताकि भाषा के संरचात्मक रूपों के बारे में एक व्यवस्थित ज्ञान पैदा किया जा सके। आधुनिक भाषा विज्ञान में शब्द के प्रत्येक सार्थक लघुतम खंड को भी महत्त्व दिया जाता है। इस माड्यूल में रूपिम विज्ञान तथा रूपिम के भेद-प्रभेद के आधारों को स्पष्ट किया जाएगा। इसी माड्यूल में रूप विज्ञान तथा रूपिम विज्ञान का भी अध्ययन किया जाएगा और उसके विविध पक्षों जैसे रूप, रूपिम व सहरूप, शब्द और पद के संबंध आदि के बारे में विद्यार्थियों को अवगत कराया जाएगा। शब्द तथा पद के अंतर का परिचय दिया जाएगा। मनुष्य के मुख से उच्चारित ध्वनियां जिनका प्रयोग भाषा में किया जाता है, उनके बारे में परिचय दिया जाएगा। इसी के अंतर्गत स्वनों के भेद व स्वन भेद के कारणों के साथ स्वनिम के भेद को भी अध्यापन प्रक्रिया में स्पष्ट किया जा सकेगा।

भाषा विज्ञान के विभिन्न आयाम

स्वन विज्ञान और स्वनिम विज्ञान(स्वनों का भेद व स्वन भेद के कारण, स्वनिम के भेद,स्वनिम और सहस्वनिम का निर्धारण)रूप विज्ञान और रूपिम विज्ञान(रूप, रूपिम और सहरूप, रूपिम विज्ञान, शब्द और पद, अर्थतत्त्व एवं संबंध तत्त्व, संबंध तत्त्व के प्रकार)
संदर्भ पुस्तकें

स्वनिम विज्ञान और हिंदी की स्वनिम व्यवस्था- शारदा भसीनहिंदी उद्भव- विकास और रूप- हरदेव बाहरीहिंदी भाषा- कैलाशचंद्र भाटियाध्वनि विज्ञान- गोलोक बिहारी ढल

Assessment Details with weights

S. No. Assessment Weightage

1

Home Assignment 30%

2

Home Assignment 20%

3

Class Presentation NA
4 Mid Sem Exam 20%
5 End Sem Exam 30%

Reading List:

  • भाषा और समाज- रामविलास शर्मा
  • भारत की भाषा समस्या और हिंदी- रामविलास शर्मा
  • हिंदी की आत्मा- डाक्टर धर्मवीर
  • हिंदी भाषा- भोलानाथ तिवारी
  • हिंदी का सामाजिक संदर्भ- रवींद्रनाथ श्रीवास्तव एवं रमानाथ सहाय
  • अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान- रवींद्रनाथ श्रीवास्तव
  • भाषाविज्ञान की भूमिका- देवेंद्रनाथ शर्मा
  • हिंदी भाषा का इतिहास- धीरेंद्रनाथ वर्मा
  • स्वनिम विज्ञान और हिंदी की स्वनिम व्यवस्था- शारदा भसीन
  • हिंदी उद्भव- विकास और रूप- हरदेव बाहरी
  • हिंदी भाषा- कैलाशचंद्र भाटिया
  • सामान्य भाषाविज्ञान- बाबूराम सक्सेना
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