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BA Honours in Hindi

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Seats 60
Duration 4 Years
Eligibility

हिन्दी [ऑनर्स] में प्रवेश हेतु अभ्यर्थी को अर्हता परीक्षा में कुल 45% व संबन्धित विषय [हिन्दी] में 50% अंक प्राप्त होने चाहिए। [अनुसूचित जाति/जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए अर्हता परीक्षा में कुल 40% व संबन्धित विषय [हिन्दी] में 45% अंक होने चाहिए] विद्यार्थी की मेरिट अर्हता प

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अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली (AUD) में बीए (हिंदी) आनर्स प्रोग्राम सीबीसीएस-यूजीसी की अनुशंसाओं के अनुरूप है । इसमें विद्यार्थियों को पारंपरिक शिक्षण का लाभ प्राप्त होगा साथ ही ज्ञान और व्यवसाय के क्षेत्रों में विकसित होते नए अनुशासनों से भी जोड़े जाने पर बल रहेगा । सीबीसीएस-यूजीसी के द्वारा प्रस्तावित पाठ्यक्रम में हिंदी साहित्य के जिन पक्षों पर बल है, उसका अनुसरण करते हुए साहित्य-शिक्षण की योजना पर अमल किया जाएगा । साहित्य के आदिकाल से लेकर आधुनिक काल तक फैले कालखंड का सिलसिलेवार तरीके से अध्यापन होगा तथा विद्यार्थियों को विभिन्न उपागमों से अवगत कराया जाएगा । यह अपनी प्रकृति में अंतरानुशासनिक, इतिहासमूलक तथा तुलनात्मक होने के साथ-साथ आधुनिक संवेदना से भी लैस रहेगा । विश्वविद्यालय के अन्य पाठ्यक्रमों एवं कार्यक्रमों के साथ यह तालमेल रखेगा । चार वर्षीय [3+1] पाठ्यक्रम के रूप में परिकल्पित यह हिंदी बीए (आनर्स) प्रोग्राम भाषागत योग्यता एवं व्यवसायिक कौशल के विकास पर भी विशेष ध्यान देगा। दक्षता संवर्धन के पाठ्यक्रम (Ability Enhancement Compulsory Courses- AECC) के अंतर्गत हिंदी व्याकरण और संप्रेषण तथा हिंदी भाषा और संप्रेषण व पर्यावरण संबंधी चेतना को केंद्र में रखा गया है । इसी प्रकार कौशल संवर्धन पाठ्यक्रम के अध्यापन (Skill Enhancement Courses-SEC) के अंतर्गत विज्ञापन, रचनात्मक लेखन, भाषा-शिक्षण, साहित्य-सिनेमा, अनुवाद, पाठालोचन आदि को साहित्य-शिक्षण में सम्मिलित किया गया है । प्रोग्राम से संबंधित पाठ्यक्रमों में हिंदी की विविध बोलियों, भारतीय भाषाओं तथा विश्वचिंतन पर भी बल रहेगा ताकि विद्यार्थियों के सामाजिक-सांस्कृतिक सरोकार और उनके मानसिक क्षितिज विषय-विशेष की सीमाओं में कैद न रहकर एक विश्व-नागरिक के बोध से संपन्न हो सकें। इसके लिए पाठ्यक्रम में सामान्य वैकल्पिक (Generic Elective Courses-GEC) को भी विशेष रूप से स्थान प्रदान किया गया है ताकि विद्यार्थी कला और साहित्य, संगीत और साहित्य तथा पाश्चात्य दर्शन और साहित्य आदि के अंतर्संबंध तथा पूरक संबंध से परिचित हो सकें। यह प्रोग्राम अपने पाठ्यक्रमों को विद्यार्थियों के जीवनानुभवों तथा उनकी सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप निरंतर विकसित करेगा और सर्जनात्मक लेखन व सांस्कृतिक पत्रकारिता आदि के शिक्षण के जरिए उनकी कल्पनाशीलता को भी प्रोत्साहित करने की चेष्टा करेगा ।

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