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हिंदी कहानी

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Course Type Course Code No. Of Credits
Foundation Core N/A 6
  • Does the course connect to, build on or overlap with any other courses offered in AUD? None
  • Specific requirements on the part of students who can be admitted to this course:
  • (Pre-requisites; prior knowledge level; any others – please specify) None
  • No. of students to be admitted (with justification if lower than usual cohort size is proposed): As per School Rule
  • Course scheduling (semester; semester-long/half-semester course; workshop mode; seminar mode; any other – please specify):

Semester

  • How does the course link with the vision of AUD?
  • सीबीसीएस के पाठ्यक्रम के अनुकरण में यह कोर्स अंबेडकर विश्वविद्यालय के विजन से तार्किक सुसंगति रखते हुए साहित्यिक तथा ऐतिहासिक-समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण के आधारों पर प्रतिष्ठित रहेगा। इसमें हिंदी की आधुनिक कहानियों से विद्यार्थियों को इस प्रकार से परिचित कराया जाएगा ताकि वे हिंदी भाषा के कहानी साहित्य की आधुनिक चेतना एवं उसमें जन्म लेती नवीन प्रवृत्तियों की विविधता को आत्मसात करें। इसके अंतर्गत कथाओं के विविध विषयों, शिल्प और उद्देश्यों में निहित समानता व बहुलता के विचार को सामने लाया जाएगा ताकि विद्यार्थी देश की सामाजिक संस्कृति के बारे में आधुनिक-तर्कसंगत दृष्टिकोण को विकसित कर सकें।
  • How does the course link with the specific programme(s) where it is being offered?
  • हिंदी में बीए (आनर्स) के इस प्रस्तावित पाठ्यक्रम में हिंदी की कथाओं को हिंदी साहित्य के इतिहास एवं विकास से जोड़कर पढ़ाया जाएगा। एक विशिष्ट विधा के रूप में कहानियां हिंदी के आधुनिक साहित्य में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती हैं तथा साहित्य के विद्यार्थियों के सामाजिक-सांस्कृतिक ज्ञान को समृद्ध करती है। कहानियों की इसी भूमिका से विद्यार्थियों को परिचित कराया जाएगा। यह पाठ्यक्रम अनिवार्य कोर्स के रूप में पढ़ाए जाने वाले हिंदी साहित्य के इतिहास से जुड़ा रहेगा और विद्यार्थियों को हिंदी साहित्य के समग्र ज्ञान की दिशा में ले जाने में सहायक होगा। पाठ्यक्रम में सम्मिलित विभिन्न इकाइयां साहित्य के आधुनिक विमर्शों, विचारधाराओं एवं नवीन सामाजिक सरोकारों से विद्यार्थियों को अवगत करा सकेंगी.

Course Details:

Summary:

यह पाठ्यक्रम आधुनिक हिंदी कहानियों पर केंद्रित रहेगा जिसमें स्वतंत्रता से पूर्व तथा स्वतंत्रता के बाद की कहानियों के बारे में अध्यापन किया जाएगा। जिसे आज हम कहानी के नाम से जानते हैं, वह आख्यायिका, गल्प और कथा आदि नामों से सदियों से हमारी परंपरा का अंग रही है। हिंदी में आधुनिक कहानियों का लेखन नई पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन, शिक्षा के प्रसार, पाठकों की संख्या में वृद्धि तथा शहरी समाज के क्षैतिज विस्तार जैसे कारणों से बीसवीं सदी में तेजी से होने लगा था। इस दौर में कहानियां केवल संख्या में ही अधिक नहीं रची जा रही थीं बल्कि उनके माध्यम से नए किस्म की मूल्य-चेतना तथा नवीन दृष्टियां सामने आ रही थीं। भारत जैसे औपनिवेशिकता के शिकार देश में विभिन्न सामाजिक वर्गों की कई पांरपरिक दिक्कतें तो रही ही हैं, साथ ही औपनिवेशिक कालखंड में नए अवसरों का लाभ ही नहीं मिला बल्कि नई समस्याओं का भी उन्हें सामना करना पड़ा है। खासतौर पर निम्नमध्य वर्ग तथा किसानों की समस्याएं। समाज के कमजोर व उपेक्षित वर्गों को भारतीय राष्ट्र में अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए जो संघर्ष करना पड़ रहा था, हिंदी कहानियां उन संघर्षों को रचनात्मक शैली में व्यक्त कर रही थीं। लोकतांत्रिक चेतना, मानवतावाद तथा समाजवादी आंदोलनों के प्रसार से जिस नई सामाजिक संवेदनशीलता का व्यापक प्रचार हो रहा था, उनसे भी कहानियां अभिन्न रूप से जुड़ी हुई थीं। आधुनिक जीवन की व्यक्तिवादिता तथा उपयोगितावाद की पहचान कराने में भी यही कथाएं समर्थ हैं। इस पाठ्यक्रम में विभिन्न कालखंडों, वर्गीय दशाओं, विचार-दृष्टियों और सामाजिक उद्देश्यों से प्रेरित ग्यारह कहानियां हैं जिनके पठन-पाठन से हिंदी कहानियों की विविधतापूर्ण दुनिया से परिचय प्राप्त हो सकेगा। कहानियां का यह पाठ्यक्रम कहानियों के सघन पाठ के माध्यम से भारतीय समाज-राष्ट्र के उन्नत और अंधकारपूर्ण पक्षों का वस्तुगत विवेचन करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

Objectives:

इस कोर्स में हिंदी कहानियों की विविध प्रवृत्तियों के बारे में अध्यापन किया जाएगा। विद्यार्थी पाठकेंद्रित विश्लेषण के माध्यम से पाठ की स्वायत्तता के साथ-साथ साहित्य और समाज के जटिल संबंधों के बारे में सचेत हो सकेंगे। विभिन्न वर्गों-समुदायों, स्त्री-पुरुष तथा पीढ़ियों के परस्पर संबंध और परिवेश-संस्कृति में घटित हो रहे परिवर्तनों का जो भी दस्तावेजीकरण हिंदी कहानियों के रूप में हुआ है, उसे सामने रखकर बीसवीं सदी के भारतीय समाज की विशेषताओं और अंतर्विरोधों की पहचान की जा सकेगी। समाज के हाशिए के वर्गों-जातियों के प्रति साहित्य में निहित मानवीय संवेदनशीलता के राजनीतिक-सामाजिक महत्त्व के बारे में अवगत कराया जा सकेगा। यह कोर्स कहानियों के माध्यम से हिंदी में गद्य की शक्ति के नए उभार को भी दिखाएगा जिसने हिंदी गद्य के मानकीकरण को न केवल रचनात्मक स्तर पर संभव बनाया बल्कि इसने हिंदी भाषा की समृद्ध शब्द-संपदा व देसी मुहावरों को भी संरक्षित करते हुए उसे आम पाठकों तक पहुंचाया। विभिन्न संस्कृतियों और शहरी-कस्बाई तथा ग्रामीण जनजीवन के विभिन्न भाषारूपों को कहानी के माध्यम से विद्यार्थी आत्मसात कर सकेगा। वह कथाओं में वर्णित घरेलू-निजी त्रासदियों व जीवनशैलियों से परिचित होकर अपने मनोवैज्ञानिक दायरों का विस्तार कर सकेगा। शरद सिंह

Expected learning outcomes:

  • ·हिंदी कहानियों के इतिहास से परिचय प्राप्त हो सकेगा। उनकी साहित्यिक चेतना का विकास होगा।
  • ·कहानियों के माध्यम से भारतीय समाज-राष्ट्र में आते परिवर्तनों का बोध विकसित होगा।
  • ·समाज के उपेक्षित तथा हाशिये के वर्गों के प्रति नई संवेदनशीलता का विकास होगा।
  • ·स्वातंत्र्योत्तर भारत में समाज द्वारा जिन चुनौतियों का सामना किया गया, उसका परिचय मिलेगा।
  • ·साहित्य में जो नए आंदोलन व विचार-दृष्टियां जन्म ले रही थीं, कहानियों से माध्यम से उनकी समझ विकसित होगी।

Overall structure (course organisation, rationale of organisation; outline of each module):

माड्यूल-1

आधुनिक हिंदी कहानी का इतिहास औपचारिक रूप से वर्ष 1900 के आसपास से आरंभ होता है, हालांकि फोर्ट विलियम कालेज, शिवप्रसाद सितारे हिंद के लेखन तथा भारतेंदु युग में कहानी के विभिन्न आरंभिक रूपों की झलक मिलने लगी थी। इसके पूर्व भारत में कथा और आख्यायिकाओं की परंपरा संस्कृत से लेकर हिंदी में प्रेमाख्यानों तक लगातार बनी रही। आधुनिक कहानी के इतिहास का संबंध एक ऐसी मूल्य दृष्टि के विकास से रहा है जिसमें चरित्रों को कलात्मक रूप से हाड़-मांस के स्वाभाविक मनुष्य की तरह प्रस्तुत किया जा सके और कहानी का शिल्प इस प्रकार से स्थिर हो जाए ताकि उसमें नए जमाने की अंतर्वस्तु का निर्वाह हो सके। इस माड्यूल में हिंदी कहानी के विकास की विभिन्न ऐतिहासिक चेष्टाओं, जद्दोजहद और सफल-विफल प्रयोगों के बारे में विद्यार्थियों को परिचित कराया जाएगा। वे आधुनिक हिंदी कहानी के संक्षिप्त परिचयात्मक इतिहास के माध्यम से कहानी की विकास प्रक्रिया को समझेंगे। इससे उन्हें पाठ्यक्रम में सम्मिलित हिंदी कथाओं के ऐतिहासिक संदर्भों की रोशनी में उनके साहित्यिक-सामाजिक महत्त्व का ज्ञान हासिल करने में आसानी होगी।

हिंदी कहानी का इतिहास और विकास

  • भारत में कथा लेखन की परंपरा और विकास
  • आधुनिक कहानी का संक्षिप्त इतिहास और विकास

संदर्भ पुस्तकें

  • हिंदी साहित्य का इतिहास- रामचंद्र शुक्ल, लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, 2004
  • हिंदी कहानी का विकासः मधुरेश, राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली, 2003
  • हिंदी की आरंभिक कहानिया- गंगाप्रसाद विमल (चयन व भूमिका), नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली, 2014

माड्यूल-2

इस माड्यूल में कुछ हिंदी कहानियों को रखा गया है, खासकर स्वतंत्रता से पूर्व रचित कथाओं को। यह वह कालखंड है जब सामंती भावबोध व उससे जुड़े सामाजिक संबंध ढीले प़डे और पूंजीवादी चेतना का विकास आरंभ होने लगा। एक आदर्शवादी भावधारा भी इसी समय साहित्य में प्रवाहित हो रही थी और भाव व शिल्प की रूढ़ियां चटकने लगी थीं। इस युग की कहानियां प्रेमविषयक, गरीबी-अभाव विषयक तथा घरेलू समस्याओं पर आधारित हैं। स्वतंत्रता के पूर्व की इन कथाओं में औपनिवेशिकता, सामंती समाज की विषम परिस्थितियां, आदर्शवाद तथा व्यक्तिगत आकांक्षाएं आदि व्यक्त होते रहे हैं। माड्यूल में शामिल की गई इन कहानियों का विशद पाठमूलक विश्लेषण न केवल कथा की ‘आंतरिक निर्मित तथा भाषा विन्यास’ को उजागर करेगा, बल्कि साहित्य में प्रेम-रोमांस व यथार्थ को व्यक्त करते हुए साहित्य-समाज के उद्विकासीय एवं अंतर्विरोधपूर्ण संबंधों को भी चिन्हित करता चलेगा।

प्रेम-रोमांस और यथार्थ

  • उसने कहा था- चंद्रधर शर्मा गुलेरी
  • आकाशदीप- जयशंकर प्रसाद
  • पूस की रात- प्रेमचंद
  • पाजेब- जैनेंद्र कुमार

संदर्भ पुस्तकें

  • गुलेरी- कथा-कहानी समग्र (संपादक- सुधाकर पांडे), नागरी प्रचारणी सभा, वाराणसी
  • जयशंकर प्रसाद- प्रतिनिधि कहानियां, राजकमल प्रकाशन नई दिल्ली
  • प्रेमचंद- मानसरोवर, भाग-1, लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद/दिल्ली
  • जैनेंद्र कुमार- दस प्रतिनिधि कहानियां, किताबघर प्रकाशन, दिल्ली

माड्यूल- 3

हिंदी की विभिन्न कथाएं विभाजन के यथार्थ, लोकजीवन तथा मध्यवर्ग-निम्नमध्यवर्गीय जीवन के तनावों को व्यंजित करने वाली रही हैं। उपेक्षा, महत्त्वाकांक्षा और अपेक्षा के एक जटिल मनोभावों से भरे संसार में व्यक्ति की हैसियत गौण हो जाती थी। पारिवार के भीतर उसके अस्तित्व के प्रश्न बाहर के बड़े बदलावों से प्रभावित हो जाते थे। इस यथार्थ के मध्य हिंदी की विभिन्न कथाओं ने हाशिए के जीवन तथा उससे जुड़े बेरोजगारी, पारिवारिक घुटन व आत्मसम्मान के सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक सवालों को कथा के किरदारों के माध्यम से उठाया है और पाठकों के अनुभव-जगत को समृद्ध किया है। इस माड्यूल में ऐसी कथाओं का पाठ आधारित अध्यापन होगा जिन्होंने आजादी के साथ जन्म लेने वाली सामाजिक-धार्मिक कटुताओं, मोहभंगों, मध्यवित्त वर्ग की तकलीफों और उम्मीदों का भावपूर्ण चित्रण सशक्त शिल्प के माध्यम से किया है।

विभाजन और हाशिए का जीवन

  • अमृतसर आ गया है- भीष्म साहनी
  • तीसरी कसम- फणीश्वरनाथ रेणु
  • दोपहर का भोजन- अमरकांत
  • पिता- ज्ञानरंजन

संदर्भ पुस्तकें

  • भीष्म साहनी- दस प्रतिनिधि कहानियां, किताबघर प्रकाशन, नई दिल्ली
  • फणीश्वरनाथ रेणु- प्रतिनिधि कहानियां, राजकमल प्रकाशन, दिल्ली
  • अमरकांत- प्रतिनिधि कहानियां, राजकमल प्रकाशन, दिल्ली
  • ज्ञानरंजन- प्रतिनिधि कहानियां, राजकमल प्रकाशन, दिल्ली

माड्यूल - 4

इस माड्यूल में हिंदी की प्रमुख प्रतिनिधि कथाएं, जो स्वातंत्र्योत्तर भारत में लिखी गईं, उनका पाठ आधारित अध्यापन किया जाएगा। ये कथाएं रोमांटिक भावबोध, अकेलेपन, हताशा, जीवन में निरर्थकता, स्त्री की स्वाधीनता जैसे विविध विषयों पर केंद्रित रही हैं और इन्होंने मध्यवर्गीय परिवारों में आते परिवर्तनों को दर्ज किया है। कथाओं के माध्यम से जो मध्यवर्ग साहित्य के केंद्र में आया, वह नवीन आशाओं के बीच स्वाधीनता के बाद की परिस्थितियों में सामाजिक वैषम्य, रूढ़िग्रस्तता, अनिश्चितता आदि का शिकार हुआ। खासतौर पर स्त्रियों का अवचेतन इन कथाओं में अत्यंत संवेदनशीलता से व्यक्त हुआ है। कथाकारों ने जाने-पहचाने परिवेश के साथ-साथ अपेक्षाकृत अनजान किस्म के कथात्मक परिवेश के माध्यम से भी उनकी स्थितियों का चित्रण किया है।

स्त्री जीवन और आधुनिक भावबोध

  • परिंदे- निर्मल वर्मा
  • मिस पाल- मोहन राकेश
  • बादलों के घेरे- कृष्णा सोबती
  • अकेली- मन्नू भंडारी

संदर्भ पुस्तकें

  • निर्मल वर्मा- प्रतिनिधि कहानियां, राजकमल प्रकाशन, दिल्ली
  • मोहन राकेश- प्रतिनिधि कहानियां, राजकमल प्रकाशन, दिल्ली
  • कृष्णा सोबती- बादलों के घेरे, राजकमल प्रकाशन, दिल्ली
  • मन्नू भंडारी- अकेली, रेमाधव पब्लिकेशन्स प्रा.लि., नोएडा

सहायक पुस्तकें

  • कहानी, नई कहानी, नामवर सिंह, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, 2004
  • प्रेमचंद और उनका युग- रामविलास शर्मा, राजकमल प्रकाशन, 2016
  • एक दुनिया समानांतर- राजेंद्र यादव, राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली, 2003
  • हिंदी कहानी का विकासः मधुरेश, राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली, 2003
  • हिंदी कहानी का इतिहासः गोपाल राय, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, 2008
  • नई कहानी की भूमिकाः कमलेश्वर, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, 2015
  • नई कहानीः संदर्भ और प्रकृति- देवीशंकर अवस्थी, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, 2018
  • कहानीकार प्रेमचंदः रचनादृष्टि और शिल्प- शिवकुमार मिश्र, लोकभारती प्रकाशन, 2010
  • हिंदी की आरंभिक कहानिया- गंगाप्रसाद विमल (चयन व भूमिका), नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली, 2014
  • हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास- बच्चन सिंह, राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली, 2018

Contents (week wise plan with readings):

Week Plan/ Theme/ Topic Objectives Core Reading (with no. of pages) Additional Suggested Readings Assessment (weights, modes, scheduling)
1 भारतमेंकथालेखनकीपरंपराऔरविकास विरासतकीजानकारी भारतीयकथापरंपरा(आलेख)राधावल्लभत्रिपाठी,हिंदीसाहित्यकाइतिहास-रामचंद्रशुक्ल ------ -----
2 आधुनिककहानीकासंक्षिप्तइतिहासऔरविकास विरासतकीजानकारी हिंदीकहानीकाविकास-मधुरेश -------- -------
3 ‘उसनेकहाथा’नामककहानीकापाठगतअध्ययन आधुनिककथाकापरिचय गुलेरीःकथाकहानीसमग्र-सुधाकरपांडे ----------- 30percent (after3week)-Home Assignment- 1
4 ‘आकाशद्वीप’और‘पूसकीरात’नामककहानियोंकापाठगतअध्ययन आधुनिककथाकापरिचय कहानियोंकामूलपाठ -------------  
5 ‘पाजेब’और‘अमृतसरआगयाहै’नामककहानीकाअध्ययन आधुनिककथाकापरिचय कहानियोंकामूलपाठ -----------  
6 ‘तीसरीकसम’नामककहानीकाअध्ययन आधुनिककथाकापरिचय कहानियोंकामूलपाठ ------------- --20percent after 3 week – Home Assignment -2
7 ‘दोपहरकाभोजन’और‘पिता’नामककहानीकाअध्ययन आधुनिककथाकापरिचय कहानियोंकामूलपाठ ------------- -----------
8 ‘परिंदे’नामककहानीकाअध्ययन आधुनिककथाकापरिचय पाठ्यक्रमकीकहानियां --------------  
9 ‘मिसपाल’नामककहानीकाअध्ययन आधुनिककथाकापरिचय कहानियोंकामूलपाठ ----------- 20 percent after 3 week- Mid Sem -3
10 ‘बादलोंकेघेरे’नामककहानीकाअध्ययन आधुनिककथाकापरिचय कहानियोंकामूलपाठ ------------ ----------------
11 सभीकहानियोंकापुनरावलोकनवउनपरविमर्श आधुनिककथाकापरिचय राजेंद्रयादव-एकदुनियासमानांतर,नामवरसिंह-कहानी-नईकहानी ----------- -------------
12 सभीकहानियोंकापुनरावलोकनवउनपरविमर्श आधुनिककथाकापरिचय राजेंद्रयादव-एकदुनियासमानांतर,नामवरसिंह-कहानी-नईकहानी ------------- 30per cent (after 3 week)- End Sem Assesment-4

Pedagogy:

  • Instructional strategies: क्लासरूम अध्यापन, विशिष्ट व्याख्यान और फिल्म/डाक्यूमेंटरी माध्यम का प्रयोग
  • Special needs (facilities, requirements in terms of software, studio, lab, clinic, library, classroom/others instructional space; any other – please specify): None
  • Expertise in AUD faculty or outside AUD faculty
  • Linkages with external agencies (e.g., with field-based organizations, hospital; any others) None
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