Course Type | Course Code | No. Of Credits |
---|---|---|
SUS1HN336 | 4 |
Semester and Year Offered: Winter Semester
Course Coordinator and Team:
- Does the course connect to, build on or overlap with any other courses offered in AUD? No
- Specific requirements on the part of students who can be admitted to this course:
- (Pre requisites; prior knowledge level; any others – please specify) None
- No. of students to be admitted (with justification if lower than usual cohort size is proposed): As per School Rules
- Course scheduling: (summer/winter course; semester-long course;half-semester course; workshop mode; seminar mode; any other – please specify)- Semester-long course
- Proposed date of launch: How does the course link with the vision of AUD and the specific programme(s) where it is being offered? यह पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय के विजन के अनुरूप अंतरानुशासनिक प्रकृति का होगा जिसमें हिंदी के ज्ञान के अतिरिक्त राजनीतिक तथा सामाजिक धारणाओं के विषय में अध्यापन किया जाएगा। पाठ्यक्रम की विषयबद्धता किसी भी प्रकार से विद्यार्थी एवं शिक्षक को संकीर्ण ढंग से पढ़ने-पढ़ाने या सोचने के लिए प्रेरित करने के स्थान पर एक व्यापक, बहुआयामी और लोकतांत्रिक ढंग से विषय मे निहित ज्ञान को आत्मसात करने के लिए प्रेरित करेगी।
- Course Details:
Summary:
- यह पाठ्यक्रम मुख्यतःस्वाधीनता आंदोलन के दौरान एवं स्वाधीनता आंदोलन में भागीदारी करने वालों के द्वारा रचित पुस्तकों, साहित्य, निबंध आदि पर केंद्रित होगा। स्वधीनता आंदोलन की बीसवीं सदी में महात्मा गांधी ने विशाल पैमाने पर लेखन कर सभ्यता-संस्कृति, विज्ञान, भाषा, परंपरा, धर्म आदि के संबंध में चलने वाली बहसों को प्रभावित किया और नई बहसों को जन्म दिया। उनके लेखन ने चिंतनशील भारतीय अस्मिता को रूपाकार प्रदान किया। ‘हिंद स्वराज’ के अध्यापन के माध्यम से इसी भारतीय अस्मिता और भारतीयता के विचार की स्थापना को आलोचनात्मक शैली में समझने का प्रयत्न किया जाएगा।इसी सिलसिले में भीमराव अंबेडकर की पुस्तक ‘जातिभेद का उच्छेद’ (Annihilation of the Caste) को भी अध्यापन की विषय सामग्री के रूप में प्रयोग कर स्वाधीनता आंदोलन के दौरान जाति-वर्ण व्यवस्था संबंधी वैचारिक विवाद को विश्लेषित किया जा सकेगा। आजादी के आसपास ही स्वाधीनता सेनानी राममनोहर लोहिया ने अपना प्रसिद्ध निबंध ‘राम, कृष्ण, शिव’ का लेखन किया था। इस निबंध के माध्यम से मिथक की सत्ता और भारतीय जनमानस पर उसके प्रभाव, मिथक की पुनर्व्याख्या, मिथकों के दुरुपयोग व क्षरण के खतरे आदि को केंद्र में रखकर अध्यापन किया जा सकेगा।
Objectives.
- यह ऐच्छिक पाठ्यक्रम इस दृष्टि से तैयार किया गया है कि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी बीसवीं सदी के दौरान विभिन्न राजनीतिक-सांस्कृतिक विचार शैलियों से अवगत हो सकें। उन्हें ‘हिंद-स्वराज’ के अध्ययन के माध्यम से गांधीवादी विचारपद्धति को संवेदनशील तथा आलोचनात्मक नजरिए से ग्रहण करने में सुविधा होगी। इसके अतिरिक्त वे स्वाधीनता आंदोलन के भीतर के विभिन्न वैचारिक व विचारधारात्मक ध्रुवीकरणों, असहमतियों व सहमतियों, वैचारिक रस्साकशी, सांस्कृतिक पुनर्विचार को व्यापक रूप से समझने के लिए अंबेडकर की पुस्तक ‘जातिभेद का उच्छेद’ को पढ़ेंगे और आधुनिक भारत की विचार-परंपरा के बारे में अपने स्वतंत्र मत का निर्माण कर सकेंगे। पाठ्यक्रम में राजनीतिक स्वतंत्रता के संघर्ष के समानांतर चल रहे सामाजिक-सांस्कृतिक आंदोलनों की तथ्यात्मक जानकारी भी प्रदान की जा सकेगी। विद्यार्थियों को यह समझने में सुविधा होगी कि स्वतंत्रता आंदोलन ने स्वतंत्र वैचारिक मानस का भी निर्माण करने में सहायक भूमिका अदा की और सामान्य जन अपनी संस्कृति, मिथ, ईश्वर व परंपरा के बारे में भी अधिक खुले, तार्किक, साहसिक व आधुनिक ढंग से विचार करने के लिए प्रेरित हुए। इससे उन्हें न केवल स्वतंत्रता आंदोलन बल्कि आधुनिकता की बहुआयामिता को भी आत्मासात करने में मदद मिलेगी।
Overall structure:
- यह पाठ्यक्रम निम्नलिखिततीन माड्यूल में विभाजित रहेगा।
माड्यूल-1: इस माड्यूल में गांधी द्वारा रचित ‘हिंद स्वराज’ के सभी बीस अध्यायों को एक महीने की समयावधि में पढ़ाया जाएगा। पुस्तक को पढ़ाने से पूर्व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना संबंधी इतिहास, राष्ट्रीय चेतना के क्रमिक विकास और कांग्रेस के भीतर के वैचारिक विवादों को संक्षेप में परिचित कराया जाएगा। इसी एक महीने में समयबद्ध रूप से ‘हिंद स्वराज’ के पीछे निहित वैचारिक प्रेरणाओं से परिचित कराने का भी कार्य किया जाएगा।
माड्यूल-2: इस माड्यूल में ‘जातिभेद का उच्छेद’ नामक पुस्तक को केंद्र में रखकर अध्यापन होगा। पुस्तक के विविध अनुच्छेदों को सप्ताह की अध्यापन संबंध समयसारिणी में क्रमवार प्रयोग किया जाए। पुस्तक में अंबेडकर के विचारों के संदर्भ में भारतीय समाज व्यवस्था पर पड़ने वाले जाति-वर्ण की व्यवस्था के प्रभावों का व्यापक विवेचन होगा और आधुनिकता तथा आधुनिक राष्ट्र के निर्माण में अंबेडकर के योगदान का विवेचन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त अंबेडकर की पुस्तक को लेकर विवाद, विरोध, असहमतियों तथा विविध किस्म के वैचारिक बलप्रयोगों को भी विषय सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
माड्यूल-3: इस माड्यूल में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी आंदोलन के नायक राममनोहर लोहिया के निबंध ‘राम, कृष्ण और शिव’ का अध्यापन किया जाएगा। इस विस्तृत निबंध के विभिन्न खंडों पर क्रमवार रूप से अध्यापन, विचार-विमर्श किया जाता रहेगा। कुल टीचिंग हावर्स को इस प्रकार से विभाजित किया जाएगा कि विद्यार्थियों को मिथ के महत्त्व, मिथ की समस्या और मिथ की पुनर्व्याख्या के बारे में सहज रूप से ज्ञान प्राप्त हो सके।
Contents (brief note on each module; indicative reading list with core and supplementary readings)
इस ऐच्छिक पाठ्यक्रम के लिए तैयार ‘रीडर’ में तीनों ही पाठ सामग्री यानी गांधी की पुस्तक हिंद स्वराज, अंबेडकर की पुस्तक जाति भेद का उच्छेद तथा लोहिया के निबंध राम, कृष्ण और शिव को सम्मिलित किया गया है। इस मूल पाठ सामग्री के अलावा निम्नलिखित अन्य पुस्तकों का संदर्भ एवं सहायक पुस्तक के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
- लुईस फिशर- द लाइफ आफ महात्मा गांधी, हार्पर एंड कालिंस, लंदन, 1997
- लुईस फिशर- द एशियंशियल गांधी: ऐन एंथालाजी आफ हिज राइटिंग आन हिज लाइफ, वर्क एंड आइडियाज, विंटेज बुक्स, यूएस, 1962
- सुधीर चंद्रा- गांधी: एक असंभव संभावना, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, 2012
- गांधी- सत्य के साथ मेरे प्रयोग (अनु-हरिभाऊ उपाध्याय), सस्ता साहित्य मंडल, नई दिल्ली, 1986
- भीखू सी. पारेख- कोलोनियलिज्म, ट्रेडिशन्स एंड रिफार्म- ऐन एनालिसिस आफ गांधीज पालिटिकल डिस्कोर्स, सेज पब्लिकेशन्स, दिल्ली, 1999
- राजमोहन गांधी- गांधी: द मैन, हिज पीपुल एंड द इंपायर, युनिवर्सिटी आफ कैलिफोर्निया प्रेस, 2006
- क्रिस्टोफर जैफरलेट- डाक्टर अंबेडकर एंड अनटचेबिल्टी, फाइटिंग द इंडियन कास्ट सिस्टम, कोलंबिया युनिवर्सिटी प्रेस, न्यूयार्क, 2005
- सुखदेव थोराट और नरेंद्र कुमार- बी.आर.अंबेडकर, पर्सपेक्टिव आन सोशल एक्जक्लूसन एंड एनक्लूसिव पालिसीज, आक्सफोर्ड युनिवर्सिटी प्रेस, नई दिल्ली, 2008
- धनंजय कीर- डाक्टर अंबेडकर, लाइफ एंड मिशन, पापुलर प्रकाशन, मुंबई, 1990
- गेल ओमवेट- अंबेडकर- टुवर्ड्स ऐन एनलाइटेंड इंडिया, पेंग्विन, दिल्ली, 2008
- राममनोहर लोहिया- लोहिया के विचार, नेहा पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रिब्यूटर्स, दिल्ली, 2008
- राममनोहर लोहिया- भारतमाता धरतीमाता, लोकभारती प्रकाशन इलाहाबाद, 2007
- ओंकार शरद- लोहिया, प्रकाशन केंद्र, लखनऊ, 1972
- ओमप्रकाश दीपक और अरविंद मोहन- लोहिया: एक जीवनी, वाग्देवी प्रकाशन, बीकानेर, 2006
- एम. अरुमुगम- द सोशलिस्ट थाट इन इंडिया, द कंट्रब्यूशन आफ राममनोहर लोहिया, स्टर्लिंग प्रेस, नई दिल्ली, 1978
Pedagogy:
Instructional design
इस पाठ्यक्रम को तीन माड्यूल में विभाजित कर प्रत्येक माड्यूल में रचना, सैद्धांतिक ज्ञान, आलोचना व नवीनतमसैद्धांतिक बहसों से छात्रों का परिचय कराया जाएगा। क्लासरूम में गहन अध्यापकीय व्याख्यान के साथ ही संवाद, समूह-चर्चा, प्रश्नोत्तरी, संबंधित क्षेत्रों जैसे फिल्म-थियेटर का ज्ञान-उत्पादन आदि के लिए उपयोग किया जाएगा।हिंदी में प्रकाशित होने वाली साहित्यिक पत्रिकाओं की विषय संबंधित सामग्री का भी अकादमिक उद्देश्य से उपयोग किया जाएगा। विषय-विशेषज्ञों को आमंत्रित कर विभिन्न दृष्टिकोणों से लेखकों की रचनाओं के बारे में विचार प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया जाएगा। पाठ्यक्रम का समकालीन साहित्यिक जगत की बहुविध रचनाशीलता से किस प्रकार संबंध स्थापित हो सकता है, इसके बारे में विचार-विमर्श किया जाएगा।
- Special needs (facilities, requirements in terms of software, studio, lab, clinic, library, classroom/others instructional space; any other – please specify)
- समेकित रूप से क्लासरूम/लाइब्रेरी तथा कंप्यूटर लैब का प्रयोग किया जाएगा
- Expertise in AUD faculty or outside
- विश्वविद्यालय की फैकल्टी का प्रयोग करने का अतिरिक्त शिक्षण उद्देश्य से लेखकों, संपादकों, व्याख्याताओं तथा बुद्धिजीवियों का भी लाभ उठाने की चेष्टा की जाएगी।
- Linkages with external agencies (e.g., with field-based organizations, hospital; any others) None
Assessment structure (modes and frequency of assessments)-
- One take home assignments of 30%,
- One mid semester exam/class test 30%
- End semester examination 40%