Course Type | Course Code | No. Of Credits |
---|---|---|
Discipline Core | NSOL1HN113 | 4 |
Course Coordinator and Team: SES Faculty
Email of course coordinator: pcbabed@aud.ac.in
Pre-requisites: No
- Course Description:
पाश्चात्य काव्यशास्त्र पाठ्यक्रम में समग्रता में पाश्चात्य साहित्य चिंतन व दर्शन का अध्ययन किया जाएगा। इसमें ग्रीस और रोम से लेकर यूरोप के इटली, फ़्रांस, जर्मनी और इंग्लैंड के साथ रूस और अमेरिका जैसे देशों के साहित्य चिंतन पर विचार किया जाएगा। यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को पाश्चात्य साहित्य चिंतन और दर्शन परंपरा से अवगत कराएगा। पाश्चात्य काव्यशास्त्र पाठ्यक्रम शिक्षण के माध्यम से विभिन्न सिद्धांतों व वादों को जानने तथा उनके संबंध में विशेष दृष्टिकोण विकसित करने का प्रयास किया जाएगा। इस पाठ्यक्रम के अध्ययन से विद्यार्थियों में पाश्चात्य साहित्य चिंतन परंपरा का बोध विकसित करने में मदद मिलेगी। साथ ही यह उन्हें साहित्यिक समझ व आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करेगा।
- Course Objectives:
पाश्चात्य काव्यशास्त्र का पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को पश्चिमी साहित्यिक चिंतन, सिद्धांतों और आलोचना की परंपराओं से परिचित कराने के उद्देश्य से निर्मित होता है। इस अध्ययन के माध्यम से छात्र प्लेटो, अरस्तू, होरेस, लोंजाइनस, डॉ. जॉन्सन, कोलरिज, वर्ड्सवर्थ, टी. एस. एलियट जैसे महान चिंतकों के काव्य संबंधी दृष्टिकोणों को समझते हैं। यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों में काव्य की परिभाषा, उद्देश्य, अनुकरण सिद्धांत, सौंदर्य और प्रभाव की व्याख्या करने की क्षमता विकसित करता है। साथ ही, यह उन्हें आलोचना की विविध पद्धतियों—यथार्थवादी, आदर्शवादी, रोमांटिक, आधुनिकतावादी और उत्तर-आधुनिक दृष्टिकोण—का विश्लेषण करना सिखाता है। पाश्चात्य काव्यशास्त्र का अध्ययन न केवल साहित्यिक आलोचना में गहराई लाता है, बल्कि वैश्विक साहित्यिक दृष्टिकोण को भी व्यापक बनाता है, जिससे विद्यार्थियों में एक तुलनात्मक, विवेकपूर्ण और समीक्षात्मक सोच का विकास होता है।
- Course Outcomes:
- विद्यार्थी पाश्चात्य काव्यशास्त्र व दर्शन परंपरा से परिचित हो सकेंगे।
- पाश्चात्य विचारकों की काव्य संबंधी चिंतन की जानकारी तथा पाश्चात्य काव्यशास्त्र की समझ विकसित होगी।
- पाश्चात्य काव्य सिद्धांतों तथा वादों के आधार पर काव्य समीक्षा को समझेंगे।
- विद्यार्थियों में आलोचनात्मक व तुलनात्मक दृष्टिकोण विकसित होगा ।
- Brief description of the modules:
माड्यूल-1: प्लेटो, अरस्तू, लौंजाइनस एवं वडर्सवर्थ के काव्य सिद्धान्तों का अध्ययन
यूनानी दार्शनिक व साहित्यिक परंपरा में प्लेटो, अरस्तू, लौंजाइनस का महत्वपूर्ण स्थान है। यह मॉड्यूल ‘प्लेटो, अरस्तू, लौंजाइनस एवं वडर्सवर्थ के काव्य सिद्धान्तों का अध्ययन’ स्नातक स्तर के विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए डिजाइन किया गया है। यह मॉड्यूल में, छात्रों को प्लेटो, अरस्तू, वडर्सवर्थ और लौंजाइनस जैसे प्रसिद्ध दार्शनिकों के काव्य सिद्धान्तों से परिचित करवाने के लिए तैयार किया गया है। इसके माध्यम से प्लेटो, अरस्तू, लौंजाइनस और वडर्सवर्थ की काव्य संबंधी अवधारनाएं तथा सिद्धान्त को जानते हुए विद्यार्थियों में एक बौद्धिक समझ विकसित करने का प्रयास किया जाएगा।
निर्धारित विषय :
- प्लेटो का काव्य सिद्धान्त
- अरस्तू का अनुकरण एवं विरेचन सिद्धान्त
- लौंजाइनस : काव्य में उदात्त की अवधारणा
- वडर्सवर्थ काव्य भाषा का सिद्धांत
माड्यूल-2
यह मॉड्यूल उन सिद्धांतों पर आधारित होगा जो अंग्रेजी साहित्य के प्रमुख कवि वडर्सवर्थ, कोलरिज, आई. ए. रिचर्ड्स और टी. एस. इलियट के काव्य भाषा के सिद्धांतों पर आधारित होते हुए भी हिन्दी साहित्य के विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए आवश्यक हैं। प्रस्तुत मोड्यूल में वडर्सवर्थ के काव्य भाषा के मूल सिद्धांत, उसके विभिन्न पहलुओं का विश्लेषणात्मक पक्ष तथा काव्य में अभिव्यक्ति की भूमिका संबंधी उनके विचारों का अध्ययन किया जाएगा। कोलरिज के कल्पना और फैंटेसी, आई. ए. रिचर्ड्स के मूल सिद्धांत, सम्प्रेषण सिद्धान्त तथा टी. एस. इलियट का परंपरा एवं वैयक्तिक प्रतिभा तथा निर्वैयक्तिकता के सिद्धान्त का अध्ययन किया जाएगा।
निर्धारित विषय :
- कोलरिज : कल्पना और फैंटेसी
- क्रोचे : अभिव्यंजनवाद
- आई. ए. रिचर्ड्स : मूल सिद्धांत एवं सम्प्रेषण सिद्धान्त
- टी. एस. इलियट : परंपरा एवं वैयक्तिक प्रतिभा एवं निर्वैयक्तिकता का सिद्धान्त
माड्यूल 3
विद्यार्थी प्रस्तुत मोड्यूल में विभिन्न काव्य सिद्धांतों तथा वादों के आधार पर काव्य समीक्षा को समझेंगे। इस मोड्यूल का मुख्य उद्देश्य विभिन्न वादों व साहित्य आलोचना पर एक संपूर्ण और समृद्ध अध्ययन प्रदान करना है जिसमें नई समीक्षा, यथार्थवाद, स्वछंदतावाद और मार्क्सवादी समीक्षा शामिल हैं।
निर्धारित विषय :
- नई समीक्षा
- यथार्थवाद
- स्वछंदतावाद
- मार्क्सवादी समीक्षा
माड्यूल-4
प्रस्तुत माड्यूल का में पाश्चात्य दर्शन का परिचय देते हुए उसके सैद्धान्तिक तथा प्रयोगात्मक रूप से परिचित करवाया जाएगा। विभिन्न सिद्धांतों को हिन्दी साहित्य के संदर्भ में रेखांकित करने का प्रयास किया जाएगा।
निर्धारित विषय :
- आधुनिकतवाद
- उत्तर आधुनिकता एवं औपनिवेशिकता
- संरचनावाद
Assessment Plan
S.No |
Assessment |
Weightage |
1 |
Assignment |
20% |
2 |
Presentation |
30% |
3 |
Term-End |
50% |
Readings:
- पाश्चात्य काव्यशास्त्र, देवेन्द्रनाथ शर्मा,
- नई समीक्षा के प्रतिमान, निर्मला जैन,
- काव्य में उदात्त तत्व , डॉ नगेंद्र
- पाश्चात्य काव्यशास्त्र अधुनातन संदर्भ : सत्यदेव मिश्र, लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद
- भारतीय एवं पाश्चात्य काव्यशास्त्र तथा हिन्दी आलोचना, डॉ रामचंद्र तिवारी, संजय बुक सेंटर, गोलघर, वाराणसी
- पाश्चात्य काव्यशास्त्र, डॉ तारक नाथ बाली, वाणी प्रकाशन