Course Type | Course Code | No. Of Credits |
---|---|---|
Discipline Core | NSOL1HN106 | 4 |
Course Coordinator and Team: SES Faculty
Email of course coordinator: pcbabed@aud.ac.in
Pre-requisites: No
- Course Description:
इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य हिंदी साहित्य के इतिहास से विद्यार्थी को परिचित कराना है। हिंदी साहित्य का इतिहास लिखे जाने का भी व्यापक इतिहास है, लेकिन स्नातक स्तर पर विद्यार्थियों को सीधे तौर पर साहित्येतिहास की मान्य धारणाओं से परिचित कराने के साथ ही यह पाठ्यक्रम उन्हें विभिन्न साहित्यिक प्रवृत्तियों, उनके युगीन संदर्भों और रचनाकारों से परिचित करायेगा। उदाहरण के लिए यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को न केवल भक्ति कविता के सामाजिक संदर्भों से अवगत करायेगा, बल्कि भक्ति कविता के भीतर मौजूद बहुस्वरीयता और उसकी विभिन्न धाराओं का भी ज्ञान करवाएगा। इसी तरह आदिकालीन साहित्य के वीरगाथा और श्रृंगार दोनों पक्षों के बारे में चर्चा की जायेगी। रीतिकाल की कविता की प्रमुख धाराओं, उनसे संबद्ध कवियों और उनकी विशिष्टताओं की चर्चा भी यह पाठ्यक्रम करेगा।
- Course Objectives:
हिंदी साहित्य का इतिहास (रीतिकाल तक) पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को हिंदी साहित्य के प्राचीन और मध्यकालीन स्वरूप से परिचित कराता है। यह अध्ययन आदिकाल, भक्तिकाल और रीतिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियों, रचनाकारों और उनके साहित्यिक योगदान को समझने में सहायक होता है। इसके माध्यम से विद्यार्थी न केवल साहित्यिक विकास की ऐतिहासिक यात्रा को समझते हैं, बल्कि तत्कालीन समाज, संस्कृति और भाषा के विकास की प्रक्रिया से भी परिचित होते हैं।
इस पाठ्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य हिंदी साहित्य की विभिन्न काव्यधाराओं जैसे वीरगाथा काव्य, भक्ति काव्य और रीतिकाव्य की विशेषताओं को समझाना है। इससे विद्यार्थी तुलसीदास, सूरदास, कबीर, मीरा, बिहारी, केशव और घनानंद जैसे महान कवियों की रचनाओं की गहराई को पहचान पाते हैं। साथ ही, यह अध्ययन साहित्यिक आंदोलनों और विचारधाराओं को समझने में सहायक होता है, जिससे विद्यार्थी काव्य सौंदर्य, भाषा-शैली, रस, छंद और अलंकारों की सूक्ष्मताओं से परिचित होते हैं।
इसके अतिरिक्त, यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों में साहित्यिक अभिरुचि विकसित करता है, आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करता है और उन्हें हिंदी भाषा एवं साहित्य की समृद्ध परंपरा से जोड़ता है। यह अध्ययन उनके भाषा कौशल, सृजनात्मकता और ऐतिहासिक दृष्टिकोण को विकसित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- Course Outcomes:
इस पाठ्यक्रम को पढ़ने के पश्चात विद्यार्थी:-
- आदिकालीन साहित्यिक प्रवृत्तियों से परिचित होंगे।
- भक्तिकालीन साहित्य की प्रमुख धाराओं से परिचित होंगे।
- साहित्य की सामाजिक भूमिका के संदर्भ में अब तक हुई चर्चाओं से अवगत होंगे।
- साहित्यिक युगों के उन्मेष व समापन के कारणों से परिचित होंगे।
- रीतिकालीन साहित्यिक प्रवृत्तियों से परिचित होंगे।
- Brief description of the modules:
मॉड्यूल-1
इस मॉड्यूल में विद्यार्थियों को आदिकाल का सामान्य परिचय दिया जायेगा। आदिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियों से उन्हें अवगत कराया जायेगा। साथ ही सिद्ध साहित्य, नाथ साहित्य और जैन साहित्य का सामान्य परिचय देते हुए इन्हें साहित्य की कोटि में परिणित करने संबंधी विभिन्न मतों से परिचित कराया जायेगा। रासो काव्य परंपरा के महत्व में विद्यार्थियों को परिचित कराने के साथ ही रासो ग्रंथों की प्रामाणिकता के संदर्भ में विभिन्न विद्वानों के मतों की चर्चा भी की जायेगी।
निर्धारित पाठ:
1- हिंदी साहित्य का इतिहास, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी
2- हिंदी साहित्य का आदिकाल, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, राजकमल प्रकाशन, दिल्ली
मॉड्यूल-2
इस मॉड्यूल में विद्यार्थियों को भक्ति कविता के उदय की पृष्ठभूमि से अवगत कराते हुए उन कारणों की चर्चा की जायेगी, जिनके चलते भक्ति ने अपना अखिल भारतीय स्वरूप प्राप्त किया। भक्ति कविता को भक्ति आंदोलन में बदल देने वाली प्रचालक शक्तियों की चर्चा करते हुए भक्ति आंदोलन का सामान्य परिचय दिया जायेगा। साथ ही भक्ति कविता की चार प्रमुख धाराओं, यथा- संत काव्य, सूफी काव्य, राम काव्य, कृष्ण काव्य से विद्यार्थियों को अवगत कराया जायेगा। इन धाराओं की विशिष्टताओं का उल्लेख करते हुए इनसे संबद्ध प्रमुख कवियों की कविताओं की विशिष्टता से भी विद्यार्थी अवगत होंगे।
निर्धारित पाठ:
1- हिंदी साहित्य का इतिहास, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी
2- भक्ति आंदोलन और भक्ति काव्य, शिवकुमार मिश्र, लोकभारती प्रकाशन, प्रयागराज
माड्यूल- 3
भक्ति कविता के बाद हिंदी में जिस प्रवृत्ति का जोर दिखाई पड़ता है, उसे आचार्यों ने रीति कविता कहा है। इस मॉड्यूल में विद्यार्थियों को रीतिकाल के आरंभ के कारणों के बारे में विभिन्न विद्वानों के मतों से परिचित कराते हुए उसका सामान्य परिचय दिया जायेगा। रीतिकाल की कविता की सामान्य विशेषताओं का उल्लेख करते हुए रीति बद्ध, रीति सिद्ध और रीति मुक्त कवियों की विशिष्टताओं का उल्लेख किया जायेगा। रीति काल की इन तीनों धाराओं के प्रमुख कवियों की विशिष्टताओं से भी छात्रों को परिचित कराया जायेगा।
निर्धारित पाठ :
1- हिंदी साहित्य का इतिहास, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी
2- हिंदी रीति कविता, भगीरथ मिश्र, लोकभारती प्रकाशन, प्रयागराज
Assessment Plan
S.No |
Assessment |
Weightage |
1 |
Assignment |
20% |
2 |
Presentation |
30% |
3 |
Term-End |
50% |
Readings:
- हिंदी साहित्य का इतिहास, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी
- हिंदी साहित्य का उद्भव और विकास, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, राजकमल प्रकाशन, दिल्ली
- हिंदी साहित्य का आदिकाल, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, राजकमल प्रकाशन, दिल्ली
- हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास, बच्चन सिंह, राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली
- हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास, राम कुमार वर्मा, लोकभारती प्रकाशन, प्रयागराज
- हिंदी साहित्य का आधा इतिहास, सुमन राजे, भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली
- हिंदी साहित्य और संवेदना का विकास, राम स्वरूप चतुर्वेदी, लोकभारती प्रकाशन, दिल्ली
- हिंदी साहित्य का सरल इतिहास, विश्वनाथ त्रिपाठी, ओरियेन्ट लॉंगमैन, दिल्ली
- भक्ति आंदोलन और भक्ति काव्य, शिवकुमार मिश्र, लोकभारती प्रकाशन, प्रयागराज
- हिंदी साहित्य का इतिहास, डॉ. नगेन्द्र, नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली
- हिंदी रीति कविता, भगीरथ मिश्र, लोकभारती प्रकाशन, प्रयागराज
- इग्नू पाठ्यसामग्री, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, दिल्ली