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Hindi Nibandh Evam Anya Gadya Vidhayen

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Course Type Course Code No. Of Credits
Discipline Core NSOL1HN107 4

Course Coordinator and Team:             SES Faculty

Email of course coordinator:                      pcbabed@aud.ac.in 

Pre-requisites:                                               No

  1. Course Description:

आधुनिक काल में गद्य की अनेक विधाओं का उद्भव और विकास हुआ। इस काल की प्रवृत्तियाँ पुरानी परंपरा से हटकर नई एवं आधुनिक हो गईं। निश्चय ही आधुनिक युग बोध ने साहित्य को दरबारी परिवेश से बाहर निकाल कर जनजीवन के निकट ला दिया। कथा साहित्य और नाटक के अलावा निबंध, संस्मरण, रेखाचित्र, एकांकी, आत्मकथा तथा यात्रावृतांत जैसी अनेक गद्य विधाएँ हिन्दी साहित्य के परिसर में फलने फूलने लगीं।

इस पाठ्यक्रम के अध्ययन से विद्यार्थी हिन्दी गद्य साहित्य के रचना भंडार और परंपरा से परिचित हो सकेंगे तथा विद्यार्थियों में विधाओं की और उनके अंतरसंबंधों की समझ विकसित हो सकेगी। यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को अनेक रचना विधाओं के समीक्षात्मक मूल्यांकन में सक्षम बनाएगा।

  1. Course Objectives:

हिंदी निबंध एवं अन्य गद्य विधाओं का अध्ययन विद्यार्थियों के बौद्धिक, भाषाई और साहित्यिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पाठ्यक्रम न केवल भाषा की समझ को सुदृढ़ करता है, बल्कि तार्किक चिंतन, अभिव्यक्ति कौशल और सृजनात्मकता को भी बढ़ावा देता है। निबंध लेखन विद्यार्थियों को विषयों का गहन विश्लेषण करने और अपने विचारों को स्पष्ट, प्रभावी तथा व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत करने की कला सिखाता है।

अन्य गद्य विधाएँ, जैसे कहानी, नाटक, आत्मकथा, यात्रा-वृत्तांत और संवाद, विद्यार्थियों को समाज, संस्कृति और जीवन के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराती हैं। ये विधाएँ संवेदनशीलता, नैतिक मूल्यों और सामाजिक चेतना को विकसित करने में सहायक होती हैं। इसके अलावा, गद्य पाठ्यक्रम विद्यार्थियों की भाषा प्रवाह, लेखन शैली और सृजनात्मक सोच को समृद्ध करता है, जिससे वे अपनी अभिव्यक्ति को अधिक प्रभावशाली बना सकते हैं।

  1. Course Outcomes:

प्रस्तुत पाठ्यक्रम को पढ़ने के उपरांत :-

  • विद्यार्थी निबंध आदि विभिन्न विधाओं का परिचय हासिल कर सकेंगे ।
  • विद्यार्थी रचनाओं के आलोचनात्मक मूल्यांकन में सक्षम हो सकेंगे ।
  • विद्यार्थी इन विधाओं के उद्भव और विकास को समझ सकेंगे
  • विद्यार्थी रचनाकारों के भाषा और शिल्प से परिचित हो सकेंगे
  1. Brief description of the modules:

माड्यूल-1

यह माड्यूल निबंध तथा अन्य गद्य विधाओं का परिचय, उद्भव एवं विकास पर केन्द्रित रहेगा। इस माड्यूल में विद्यार्थी निबंध तथा अन्य गद्य विधाओं का परिचय, उद्भव एवं विकास को समझ सकेंगे। निबंध तथा अन्य गद्य विधाओं का सामाजिक परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य में मूल्यांकन कर सकेंगे और उसके स्वरूप में आए हुए परिवर्तनों से परिचित हो सकेंगे।    

निर्धारित पाठ :

निबंध तथा अन्य गद्य विधाओं का परिचय, उद्भव एवं विकास 

माड्यूल-2

हिन्दी की गद्य विधाओं के समान हिन्दी निबंध का विकास भी भारतेन्दु युग से प्रारम्भ हुआ इसलिए भारतेन्दु युग को हिन्दी निबंध का प्रथम चरण कहा जाता है। हिन्दी निबंध के द्वितीय चरण को आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के नाम पर द्विवेदी युग रखा गया। द्विवेदी युग के सर्वाधिक सशक्त निबंधकार सरदार पूर्ण सिंह हैं। उनके निबंधों में ‘मजदूरी और प्रेम’ सर्वश्रेष्ठ निबंध है जिसका अध्ययन विद्यार्थी कर सकेंगे। हिन्दी निबंध को आचार्य शुक्ल के नाम पर ‘शुक्ल युग’ नाम दिया गया है। आचार्य शुक्ल के निबंध क्षेत्र में पदार्पण करने से इसे नए आयाम एवं नई दिशाएँ प्राप्त हुईं। इस माड्यूल के अंतर्गत रखे गए आचार्य शुक्ल के निबंध ‘करुणा’  का आलोचनात्मक मूल्यांकन कर सकेंगे तथा शुक्ल की निबंध शैली को भी जान सकेंगे। हज़ारी प्रसाद द्विवेदी शुक्लोत्तर युग के सर्वश्रेष्ठ निबंधकार माने जा सकते हैं। उनके निबंधों में विषय और व्यक्ति का संतुलित समन्वय है। व्यक्तिव्यंजक निबंधकारों में विद्यानिवास मिश्र का महत्त्वपूर्ण स्थान है। एक ललित निबंधकार के रूप में भी मिश्र जी ने हिन्दी पाठकों पर अमिट छाप छोड़ी है। इनके ललित निबंधों में भावुकता के साथ-साथ लोक-संस्कृति की छटा भी विद्यमान है।        

निर्धारित पाठ

·          सरदार पूर्ण सिंह- मजदूरी और प्रेम

·          आचार्य रामचन्द्र शुक्ल – करुणा

·          हज़ारी प्रसाद द्विवेदी – देवदारु

·          विद्यानिवास मिश्र – मेरे राम का मुकुट भीग रहा है 

 माड्यूल- 3

यह माड्यूल रेखाचित्र पर आधारित है। इस माड्यूल के अंतर्गत विद्यार्थी  शिवपूजन सहाय कृत ‘महाकवि जयशंकर प्रसाद’,  रामवृक्ष बेनीपुरी कृत ‘रज़िया’ तथा विष्णुकांत शास्त्री कृत ‘ये हैं प्रो. शशांक’ नमक रेखाचित्रों का अध्ययन करेंगे। रेखाचित्र में किसी व्यक्ति, वस्तु या संदर्भ का अंकन किया जाता है। यह अंकन पूर्णतः तटस्थ भाव से निर्लिप्त रहकर किया जाता है। शिवपूजन सहाय ने जयशंकर प्रसाद को बहुत नजदीक से देखा था। इस रेखाचित्र में जयशंकर प्रसाद के व्यक्तित्व के अछूते प्रसंगों को रूपायित किया है। हिन्दी के अप्रतिम गद्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी ने रेखाचित्र के विकास में अतुलनीय योगदान दिया है। अपने रेखाचित्रों के माध्यम से उन्होने हिन्दी रेखचित्रों को संवेदनात्मक एवं वैचारिक गहराई तथा शिल्पगत उत्कर्ष प्रदान करने का काम किया है। इस माड्यूल के अंतर्गत रखे गए रेखाचित्रों का अध्ययन किया जाएगा तथा उनका समीक्षात्मक मूल्यांकन भी किया जाएगा।               

 निर्धारित पाठ:

·          शिवपूजन सहाय – महाकवि जयशंकर प्रसाद

·          रामवृक्ष बेनीपुरी – रज़िया

·          विष्णुकांत शास्त्री – ये हैं प्रो. शशांक

माड्यूल- 4

यह माड्यूल संस्मरण पर आधारित है। संस्मरण हिंदी गद्य की एक नवीन किंतु महत्वपूर्ण विधा है।हिंदी में संस्मरण लेखन का सिलसिला बीसवीं सदी के तीसरे दशक में शुरू हो चुका था लेकिन विधा के रूप में उसकी स्वतंत्र पहचान पांचवें दशक में ही बन सकी थी।इस माड्यूल के तहत डॉ.नगेन्द्र कृत दादा स्वर्गीय बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' का अध्ययन किया जायेगा। इस तारतम्य में माखनलाल चतुर्वेदी कृत 'तुम्हारी स्मृति' का भी अध्ययन किया जायेगा। विद्यार्थी इन पाठों के जरिये से रचनाकार तथा रचना से परिचित हो सकेंगे तथा साथ ही पाठों का मूल्यांकन  भी कर सकेंगे।

निर्धारित पाठ-

·          डॉ. नगेन्द्र - दादा स्वर्गीय बालकृष्ण शर्मा 'नवीन'

·          माखनलाल चतुर्वेदी- तुम्हारी स्मृति

Assessment Plan

S.No

Assessment

Weightage

1

Assignment

20%

2

Presentation

30%

3

Term-End

50%

Readings:

  • हिंदी का गद्य साहित्य-डॉ.रामचन्द्र तिवारी, विश्वविद्यालय प्रकाशन,वाराणसी,संस्करण:2016
  • निबन्ध निलय- डॉ.सत्येंद्र,वाणी प्रकाशन,नई दिल्ली
  • हिन्दी निबंध और निबंधकार-डॉ.रामचंद्र तिवारी , विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी, संस्करण:2013
  • हजारी प्रसाद द्विवेद संकलित निबंध- सं.नामवर  सिंह, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत, संस्मरण:2021
  • शताब्दी का निबंध-सं.डॉ.मुकुंद द्विवेदी, हिन्दी अकादमी,दिल्ली संस्करण:2008
  • बेनीपुरी ग्रंथावली भाग एक- सं. सुरेश शर्मा, राधाकृष्ण प्रकाशन,नई दिल्ली
  • निबन्ध संकलन- डॉ.आशा जोशी, सतीश बुक डिपो, नई दिल्ली
  • चिंतामणि भाग-1- आचार्य रामचंद्र शुक्ल,कला मंदिर, संस्करण :2003
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