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Hindi ki Sahityik Patrkarita

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Course Type Course Code No. Of Credits
Discipline Core NSOL1HN112 4

 

Course Coordinator and Team:             SES Faculty

Email of course coordinator:                      pcbabed@aud.ac.in 

Pre-requisites:                                               No

  1. Course Description:

स्नातक स्तर के विद्यार्थियों के लिए प्रस्तावित यह पाठ्यक्रम हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता और उसके इतिहास का व्यापक अध्ययन करने के लिए बनाया गया है। प्रारंभ में पत्रकारिता का मुद्रित माध्यम जनसंचार का लोकप्रिय माध्यम रहा है। आज के डिजिटल समय में ई-पत्रकारिता भी इसका सशक्त माध्यम है। पत्रकारिता के इतिहास में साहित्यिक पत्रकारिता अपना प्रमुख स्थान रखती है। भारत में पत्रकारिता की शुरुआत होने के साथ ही साहित्य, कला, ज्ञान-विज्ञान की प्रमुख शाखाओं का विकास इसी माध्यम से हुआ। साहित्यिक पत्रकारिता  एक महत्त्वपूर्ण माध्यम बनकर उभरा जिससे हिन्दी भाषा व उसके साहित्य विधाओं का व्यापक विकास हुआ। हिन्दी साहित्य की अनेक विधाएँ नवजागरण के दौर में साहित्यिक पत्रकारिता के माध्यम से नवीन कलेवर में प्रस्तुत होना शुरू हुईं। ‘खड़ी बोली’ को हिन्दी काव्य व गद्य साहित्य की भाषा बनाने और हिन्दी भाषा का मानकीकरण और उसमें एकरूपता लाने का सार्थक प्रयास भी साहित्यिक पत्रकारिता के माध्यम से हुआ। काव्य, कथा-साहित्य, समीक्षा, आलोचना, नाटक, निबंध, साक्षात्कार, तुलनात्मक साहित्य, यात्रा वृतांत, कथेतर गद्य व साहित्यिक विमर्श (स्त्री, दलित, आदिवासी, किन्नर) इत्यादि विधाएँ साहित्यिक पत्रकारिता के माध्यम से अभिव्यक्त हुईं। इन विधाओं को पत्रिकाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। पत्रिकाएँ साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक, वार्षिक इत्यादि कलेवरों में आती हैं। साहित्यिक पत्रकारिता के माध्यम से रचनाएँ दीर्घजीवी होती हैं और एक बड़े पाठक वर्ग तक पहुँचती हैं।  

  1. Course Objectives:

इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को हिन्दी साहित्य और पत्रकारिता के मध्य सेतु स्थापित करना सिखाना है। इस पाठ्यक्रम के माध्यम से छात्र हिन्दी साहित्यिक पत्रकारिता की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, विकास यात्रा, प्रमुख पत्रकारों और साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं की भूमिका को समझ सकेंगे। साथ ही, यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों में विश्लेषणात्मक सोच, लेखन कौशल, और समकालीन साहित्यिक प्रवृत्तियों की पहचान करने की क्षमता का विकास करता है। उद्देश्य यह भी है कि छात्र साहित्यिक पत्रकारिता को सामाजिक परिवर्तन, सांस्कृतिक चेतना और साहित्यिक विमर्श के एक प्रभावशाली माध्यम के रूप में समझें तथा स्वयं भी साहित्यिक लेखन और सम्पादन में सक्षम बनें।

  1. Course Outcomes:
  • हिन्दी पत्रकारिता के इतिहास के व्यापक अध्ययन के साथ-साथ हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता के प्रारंभिक रूप से लेकर आज तक की साहित्यिक पत्रकारिता का सिलसिलेवार अध्ययन करना।
  • साहित्यिक पत्रकारिता के माध्यम से हिन्दी भाषा और उसके साहित्य रूपों में हुए परिवर्तनों के साथ उसकी राजनैतिक-सामाजिक अवस्थाओं के विश्लेषण का बोध पैदा करना।
  • समकालीन साहित्यिक पत्रकारिता के माध्यम से वर्तमान साहित्य को समझना।
  1. Brief description of the modules:

माड्यूल-1

हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता: परिचय एवं अवधारणा

इस इकाई में हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता की सैद्धांतिकी से विद्यार्थियों को परिचित कराया जाएगा। पत्रकारिता और साहित्य का अंत:संबंध पत्रकारिता के उद्भव के समय से ही है। दोनों के मध्य गहरा संबंध होता है। प्रत्येक पत्रकार एक साहित्यकार होता है और प्रत्येक साहित्यकार एक पत्रकार होता है, क्योंकि देश, काल की सामाजिक-सांस्कृतिक चिंता और जनता की चेतना का प्रवाह पत्रकारिता एवं साहित्य में व्यक्त होता है।

निर्धारित विषय :

  • साहित्यिक पत्रकारिता: अर्थ एवं अवधारणा
  • साहित्यिक पत्रकारिता की पृष्ठभूमि
  • साहित्यिक पत्रकारिता की वैचारिकी

माड्यूल-2

स्वतंत्रता पूर्व हिन्दी साहित्यिक पत्रकारिता

इस इकाई में स्वतंत्रता पूर्व हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता  का अध्ययन किया जाएगा। बंगीय परिवेश से जन्म लेकर हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता अपनी यात्रा प्रारंभ करती है और धीरे-धीरे हिन्दी प्रदेश और भारत में अपना फैलाव करती है। नवजागरणकालीन चेतना, राष्ट्रीय चेतना तथा हिन्दी के आधुनिक साहित्य का व्यापक विकास इसी युग में हुआ।  

निर्धारित विषय :

  • भारतेन्दु युगीन साहित्यिक पत्रकारिता
  • द्विवेदी युगीन साहित्यिक पत्रकारिता
  • प्रेमचंद व छायावाद युगीन साहित्यिक पत्रकारिता
  • छायावादोत्तर साहित्यिक पत्रकारिता

माड्यूल 3

स्वातंत्रयोत्तर हिन्दी साहित्यिक पत्रकारिता 

स्वातंत्रयोत्तर हिन्दी साहित्यिक पत्रकारिता में काव्य व गद्य विधाओं के साथ कथेत्तर गद्य का सर्वाधिक लेखन हुआ है। भारत की स्वतंत्रता के पश्चात जनता की समस्याएं व उनका स्वर साहित्यिक पत्रकारिता का विषय बनता है। लोकतंत्र की पैरोकारी इसकी प्रमुख आवाज है। आपातकाल के समय प्रेस सेंसरशिप फिर से अंग्रेजी शासन की याद दिलाता है। स्वातंत्रयोत्तर और समकालीन पत्रकारिता का स्वर विविध है, जिसके केंद्र में मनुष्य है। आधुनिक पत्रकारिता का बदलता समय और ई-पत्रकारिता, ब्लॉग, वेबसाइट भी आधुनिक पत्रकारिता के घटक हैं। 

निर्धारित विषय :

  1.  स्वातंत्रयोत्तर साहित्यिक पत्रकारिता 
  2. आपातकाल की साहित्यिक पत्रकारिता
  3. समकालीन साहित्यिक पत्रकारिता
  4. सोशल मीडिया और पत्रकारिता (साहित्यिक पत्र-पत्रिकाएँ, ब्लॉग, वेबसाइट)  

माड्यूल-4

महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाएँ

इस इकाई में हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता के प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन  किया जाएगा। इन पत्रिकाओं के माध्यम से हिन्दी साहित्य व हिन्दी समाज में हुए अध्ययन को परिलक्षित किया जाएगा।

निर्धारित विषय :

  1. हिन्दी प्रदीप
  2. सरस्वती
  3. चाँद (फांसी अंक)
  4. जनसत्ता 

Assessment Plan

S.No

Assessment

Weightage

1

Assignment

20%

2

Presentation

30%

3

Term-End

50%

Readings:

  • समाचार पत्रों का इतिहास: अंबिका प्रसाद वाजपेयी, ज्ञानमंडल, वाराणसी, 1986
  • भारतीय पत्रकारिता का इतिहास: जे नटराजन, प्रकाशन विभाग, नई दिल्ली, 2002
  • हिन्दी पत्रकारिता का बृहद इतिहास: डॉ. अर्जुन तिवारी, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, 2013
  • सम्पूर्ण पत्रकारिता: हेरम्ब मिश्र, अभिनव भारती, इलाहाबाद, 1979
  • हिन्दी पत्रकारिता- जातीय चेतना और खड़ी बोली साहित्य की निर्माण भूमि: कृष्णबिहारी मिश्र, भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली, 2019
  • हिन्दी पत्रकारिता- हमारी विरासत (दो खंड): शम्भूनाथ, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, 2007
  • भारतेन्दु युग और हिन्दी भाषा की विकास परंपरा: रामविलास शर्मा, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, 2017
  • हिन्दी पत्रकारिता: विविध आयाम (दो खंड): डॉ. वेदप्रताप वैदिक, हिन्दी बुक सेंटर, दिल्ली, 2006
  • हिन्दी की साहित्यिक पत्रकारिता: प्रो. रमा, नयी किताब प्रकाशन, नई दिल्ली, 2021
  • इमरजेंसी का कहर और सेंसर का जहर: बलबीर दत्त, प्रभात प्रकाशन, दिल्ली, 2019
  • आपातकालीन पत्रकारिता की संघर्ष गाथा: अरुण कुमार भगत, मेधा पब्लिशिंग हाउस, 2018
  • हिन्दी की आधुनिक पत्रकारिता: अरुण कुमार भगत, नेशनल बुक ट्रस्ट, 2018 
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