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Hindi Sahitya ka ithihas aadhunk Kaal tak

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Course Type Course Code No. Of Credits
Discipline Core NSOL1HN109 4

Course Coordinator and Team:             SES Faculty

Email of course coordinator:                      pcbabed@aud.ac.in 

Pre-requisites:                                               No

  1. Course Description:

इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य हिंदी साहित्य के आधुनिक काल के इतिहास से विद्यार्थी को परिचित कराना है। हिंदी साहित्य का आधुनिक काल नवजागरण की पृष्ठभूमि में आरंभ होता है और देश की स्वतंत्रता के आंदोलन के साथ उसकी गहरी संसक्ति है। यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियों, उनके युगीन संदर्भों और रचनाकारों से परिचित करायेगा। भारतेन्दु युग से आरंभ होने वाले हिंदी साहित्य के आधुनिक काल के परिचय के साथ ही यह पाठ्यक्रम हिंदी नवजागरण और उसके पुरोधाओं के बारे में विद्यार्थियों को परिचित करायेगा। तदनंतर द्विवेदी युग, छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता, समकालीन कविता के साथ ही हिंदी गद्य के विकास के बारे में भी विद्यार्थियों को अबगत करायेगा। 

इस पाठ्यक्रम के अध्ययन से विद्यार्थी आधुनिक हिंदी साहित्य के इतिहास और प्रमुख साहित्यिक प्रवृत्तियों का ज्ञान प्राप्त करेंगे। इनमें हिंदी नवजागरण, भारतेन्दु युग, द्विवेदी युग, छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता, समकालीन कविता, स्वतंत्रता-पूर्व हिंदी ग्य और स्वातंत्रयोत्तर हिंदी गद्य के विकास के बारे में विद्यार्थी अवगत हो सकेंगे।

  1. Course Objectives:

हिंदी साहित्य का इतिहास (आधुनिक काल तक) पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को हिंदी साहित्य के विकास की पूरी यात्रा से परिचित कराता है। यह अध्ययन आदिकाल, भक्तिकाल और रीतिकाल से लेकर आधुनिक काल तक की प्रमुख साहित्यिक प्रवृत्तियों, रचनाकारों और साहित्यिक आंदोलनों को समझने में सहायक होता है। विशेष रूप से, आधुनिक काल में हिंदी साहित्य में आए परिवर्तनों, विभिन्न विचारधाराओं, लेखन शैलियों और नए प्रयोगों को विस्तार से जानने का अवसर मिलता है।

इस पाठ्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य विद्यार्थियों को साहित्यिक युगों की विशेषताओं से अवगत कराना और उन्हें भारतीय समाज, संस्कृति एवं भाषा के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को समझने में सक्षम बनाना है। वे भारतेंदु हरिश्चंद्र, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय, यशपाल और अन्य आधुनिक साहित्यकारों की रचनाओं के माध्यम से साहित्य के बदलते स्वरूप और समाज पर इसके प्रभाव को समझते हैं।

इसके अतिरिक्त, यह अध्ययन विद्यार्थियों में साहित्यिक रुचि को जागृत करता है, आलोचनात्मक एवं तर्कशील दृष्टिकोण विकसित करता है और भाषा व लेखन कौशल को निखारता है। आधुनिक हिंदी साहित्य के अंतर्गत उपन्यास, नाटक, कविता, कहानी और निबंध जैसी विधाओं का विश्लेषण कर वे साहित्य की व्यापकता को समझ पाते हैं। इस प्रकार, यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को हिंदी साहित्य की समृद्ध परंपरा से जोड़ने के साथ-साथ उनके बौद्धिक और सांस्कृतिक विकास में भी सहायक सिद्ध होता है।

  1. Course Outcomes:
  • हिंदी नवजागरण का का बोध होगा।
  • भारतेन्दु युगीन साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियों का ज्ञान होगा।
  • द्विवेदी युगीन साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियों से परिचित होंगे। छायावादी साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियों से परिचित होंगे।
  • प्रगतिवादी साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियों से परिचित होंगे।
  • प्रयोगवादी साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियों से परिचित होंगे।
  • नयी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों से परिचित होंगे।
  • समकालीन साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियों से परिचित होंगे। स्वतंत्रता-पूर्व व स्वातंत्रयोत्तर हिंदी गद्य के विकास से परिचित होंगे।
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  1. Brief description of the modules:

मॉड्यूल-1

इस मॉड्यूल में विद्यार्थियों को आधुनिक काल की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से अवगत कराया जायेगा। साथ ही यह माड्यूल हिंदी नवजागरण की अवधारणा, उसकी व्याप्ति और स्वरूप के बारे में भी विद्यार्थियों को अवगत करायेगा।

हिंदी नवजागरण के साथ भारतेन्दु युग का साहित्य अभिन्‍न रूप से जुड़ा हुआ है, साथ ही इस युग की साहित्यिक पत्रकारिता ने भी नवजागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस माड्यूल में विद्यार्थियों को हिंदी नवजागरण और भरतेन्दु युग की प्रमुख प्रवृत्तियों के बारे में परिचित कराया जायेगा।

निर्धारित पाठ:

हिंदी साहित्य का सरल इतिहास, विश्वनाथ त्रिपाठी, ओरियेन्ट लॉगमैन, दिल्ली

मॉड्यूल-2

हिंदी साहित्य और हिंदी भाषा को आधुनिक स्वरूप प्रदान करने में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। उनहोंने गद्य और कविता की भाषा को एक करने और खड़ी बोली का स्वरूप निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस मॉड्यूल में विद्यार्थियों को द्विवेदी युगीन साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियों से परिचित कराया जायेगा। प्रकृतिप्रेम, राष्ट्रवादी उद्बोधन और व्यक्तिमता के साथ आया छायावाद कविता के स्वरूप में बड़े बदलाव करता है। इस मॉड्यूल में छायावाद की प्रमुख प्रवृत्तियों से विद्यार्थियों को अवगत कराया जायेगा। साथ ही प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना से आरंभ हुए प्रगतिवादी साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियों और प्रमुख कवियों से भी विद्यार्थियों को परिचित कराया जायेगा।

निर्धारित पाठ:

हिंदी साहित्य का सरल इतिहास, विश्वनाथ त्रिपाठी, ओरियेन्ट लॉगमैन, दिल्ली 2- आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां, राजकमल प्रकाशन, दिल्ली

मॉड्यूल- 3

'राहों के अन्वेषी' के बतौर काव्ययात्रा का आरंभ करने वाले प्रयोगवादी कवियों की आज हिंदी साहित्य के इतिहास में स्पष्ट पहचान है। प्रयोगवाद साहित्यिक आंदोलन के रूप में न केवल प्रतिष्ठित है बल्कि कालान्तर का नयी कविता आंदोलन भी इससे प्रभावित रहा है। 980 के दशक और उसके बाद की कविता को समकालीन कविता के रूप में जाना जाता है। ये तीनों ही साहित्यिक प्रवृत्तियां एक दूसरे से संबद्ध भी हैं और स्वतंत्र भी। इस माड्यूल में इन तीनों ही साहित्यिक आंदोलनों की प्रमुख प्रवृत्तियों और उनके रचनाकारों से विद्यार्थियों को परिचित कराया जायेगा।

निर्धारित पाठ:

हिंदी साहित्य का सरल इतिहास, विश्वनाथ त्रिपाठी, ओरियेन्ट लॉगमैन, दिल्ली 2-

आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां, राजकमल प्रकाशन, दिल्ली

मॉड्यूल- 4

आधुनिक काल और हिंदी के गद्य का विकास परस्पर सहवर्ती है। भारतेन्दु युग से आरंभ हुआ हिंदी गद्य विभिन्‍न ज्ञानात्मक व सर्जनात्मक विधाओं का आश्रय प्राप्त करता हुआ विकसित हुआ। इस गद्य के विकास में पत्र-पत्रिकाओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नाटक, एकांकी, निबंध, कहानी और उपन्यास आदि विधाओं ने न केवल हिंदी गद्य को आवश्यक जीवनीशक्ति दी बल्कि हिंदी साहित्य को लोकप्रिय बनाने और राष्ट्रीयता की भावना का प्रसार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वतंत्रता के बाद का हिंदी गद्य अभिव्यक्ति को और भी बहुआयामिता देता है। इस मॉड्यूल में स्वतंत्रता पूर्व हिंदी गद्य के स्वरूप और स्वातंत्रयोत्तर हिंदी गद्य के स्वरूप से विद्यार्थियों को अवगत कराया जायेगा।

निर्धारित पाठ :

हिंदी साहित्य का सरल इतिहास, विश्वनाथ त्रिपाठी, ओरियेन्ट लॉगमैन, दिल्ली 2-

हिंदी साहित्य का इतिहास, डॉ. नगेन्‍्द्र, नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली

Assessment Plan

S.No

Assessment

Weightage

1

Assignment

20%

2

Presentation

30%

3

Term-End

50%

Readings:

  • हिंदी साहित्य का इतिहास, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी
  • भारतेन्दु हरिश्चंद्र और हिंदी नवजागरण की समस्‍यायें, रामविलास शर्मा, राजकमल प्रकाशन, दिल्‍ली
  • हिंदी साहित्य का इतिहास, डॉ. नगेन्द्र नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली
  • हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास, बच्चन सिंह, राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली
  • हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास, राम कुमार वर्मा, लोकभारती प्रकाशन, प्रयागराज
  • हिंदी साहित्य का आधा इतिहास, सुमन राजे, भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्‍ली चतुर्वेदी, लोकभारती
  • हिंदी साहित्य और संवेदना का विकास, राम स्वरूप चतुर्वेदी, लोकभारती प्रकाशन, दिल्‍ली
  • हिंदी साहित्य का सरल इतिहास, विश्वनाथ त्रिपाठी, ओरियेन्ट लॉगमैन, दिल्‍ली
  • हिंदी उपन्यास का इतिहास, गोपाल राय, राजकमल प्रकाशन, दिल्‍ली
  • आधुनिक हिंदी साहित्य का इतिहास, बच्चन सिंह, लोकभारती प्रकाशन, प्रयागराज
  • आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां, नामवर सिंह, राजकमल प्रकाशन, दिल्‍ली
  • इग्नू पाठ्यसामग्री, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, दिल्ली
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