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Paryojanmulak Hindi

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Course Type Course Code No. Of Credits
Discipline Core NSOL1HN110 4

Course Coordinator and Team:            SES Faculty

Email of course coordinator:               pcbabed@aud.ac.in 

Pre-requisites:                                                 No

  1. Course Description:

स्नातक स्तर के विद्यार्थियों के लिए प्रस्तावित यह पाठ्यक्रम हिंदी भाषा के इतिहास को समझने के लिए बनाया है। इसके अतिरिक्त विद्यार्थी हिंदी भाषा का मानकीकरण, हिंदी की विभिन्न शैलियाँ, हिंदी भाषा के विभिन्न रूप, हिंदी भाषा के प्रयोग क्षेत्र, प्रयोजनमूलक हिंदी के प्रमुख प्रकार, भाषा-व्यवहार तथा हिंदी की पारिभाषिक शब्दावली का जान प्राप्त कर सकेंगे। स्नातक हिंदी (ऑनर्स) के विद्यार्थी के लिए अपनी भाषा की परंपरा का ज्ञान और समझ आवश्यक है। यह पाठ्यक्रम उसी आवश्यकता की पूर्ति का एक प्रयास है। हिंदी भाषा की अनेक उपभाषाएँ और बोलियाँ रही हैं। यह पाठ्यक्रम आरंभिक हिंदी भाषा का परिचय देते हुए हिंदी भाषा की उपभाषाओं और बोलियों के क्रमिक इतिहास से विद्यार्थियों को रू-ब-रू कराएगा। साथ ही, हिंदी की विभिन्न शैलियों व उसके मानकीकरण की प्रक्रिया को भी यह पाठ्यक्रम स्पष्ट करेगा। इसके अतिरिक्त यह पाठ्यक्रम हिंदी भाषा के विभिन्न रूपों, हिंदी के प्रयोग क्षेत्रों, प्रयोजनमूलक हिंदी के प्रमुख प्रकारों, भाषा-व्यवहारों तथा पारिभाषिक शब्दावलियों आदि की समुचित समझ विद्यार्थियों में पैदा करेगा। इस पाठ्यक्रम के अध्ययन से विद्यार्थी अपनी भाषिक परम्परा का बोध विकसित कर सकेंगे। साथ ही यह पाठयक्रम उन्हें भविष्य में रोजगार के अनेक अवसर प्राप्त हो सके इसके लिए भी उन्हें तैयार करेगा।

  1. Course Objectives:

प्रयोजनमूलक हिंदी पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भाषा को व्यवहारिक संदर्भों में प्रयोग करने की दक्षता विकसित करना है। यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को हिंदी भाषा के व्यावहारिक, प्रशासनिक, व्यावसायिक और तकनीकी रूपों से परिचित कराता है, जिससे वे अपने दैनिक जीवन, कार्यालयी कार्यों और सामाजिक संवाद में प्रभावी रूप से भाषा का प्रयोग कर सकें।

इस अध्ययन के माध्यम से विद्यार्थी पत्र लेखन, रिपोर्ट लेखन, समाचार लेखन, विज्ञापन लेखन, अनुवाद और संपादन जैसी व्यावहारिक दक्षताएँ प्राप्त करते हैं। इससे वे विभिन्न औपचारिक एवं अनौपचारिक संचार माध्यमों में हिंदी का सही और सटीक प्रयोग सीखते हैं। इसके अतिरिक्त, यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को रोजगार के अवसरों के लिए तैयार करता है, क्योंकि हिंदी पत्रकारिता, अनुवाद, सरकारी तथा निजी क्षेत्र की नौकरियों में भाषा की सही समझ आवश्यक होती है।

प्रयोजनमूलक हिंदी विद्यार्थियों में भाषा कौशल, अभिव्यक्ति क्षमता और संचार दक्षता को विकसित करने के साथ-साथ उन्हें आधुनिक तकनीकी परिवेश में भाषा के प्रयोग से भी परिचित कराता है। यह पाठ्यक्रम हिंदी को केवल साहित्य तक सीमित न रखकर उसे एक प्रभावी व्यावसायिक और संचार की भाषा के रूप में स्थापित करने में सहायक सिद्ध होता है।

  1. Course Outcomes:
  • हिंदी भाषा, उसकी उपभाषाओं और बोलियों में दक्ष बनाना।
  • हिंदी भाषा और उसकी परम्परा तथा इतिहास का बोध पैदा करना और उसके विश्लेषण के औजार विकसित करना।
  1. Brief description of the modules:

हिंदी भाषा का उद्भव और विकास तथा हिंदी की शैलियाँ

इस इकाई में हिंदी भाषा का विकासात्मक अध्ययन के माध्यम से विद्यार्थियों को हिंदी भाषा के जन्म से लेकर उसके वर्तमान स्वरूप तक की यात्रा के विभिन्न पड़ावों से परिचित कराया जायेगा। साथ ही हिंदी भाषा की विभिन्न उपभाषाओं और बोलियों का भी सामान्य परिचय दिया जायेगा। हिंदी भाषा के क्षेत्र विस्तार की सामान्य जानकारी भी पाठकों को उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अतिरिक्त हिंदी भाषा की विभिन्न शैलियों (हिंदी, उर्दू और हिंदुस्तानी) की चर्चा भी की जाएगी। इससे विद्यार्थियों की हिंदी भाषा के इतिहास और विकास के प्रति एक बौद्धिक समझ विकसित हो सकेगी।

निर्धारित विषय :

  1. भारोपीय भाषा परिवार और प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं का सामान्य परिचय।
  2. हिन्दी की उपभाषाओं और उनकी बोलियों का सामान्य परिचय।
  3. हिन्दी की शैलियाँ: हिन्दी, उर्दू और हिंदुस्तानी।

माड्यूल-2

हिंदी भाषा का मानकीकरण, त्रिभाषा सूत्र और राजभाषा, राष्ट्रभाषा एवं संपर्क भाषा

इस इकाई में राजभाषा का तात्पर्य, राजभाषा और राष्ट्रभाषा में अंतर राष्ट्रभाषा की कसौटियाँ, राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी की ऐतिहासिक विकास-यात्रा, स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी का विकास, हिंदी के राष्ट्रभाषा होने के प्रश्न (तर्क), राष्ट्रभाषा हिंदी के विकास हेतु सुझाव, त्रिभाषा सूत्र, संपर्क भाषा, राजभाषा के रूप में हिंदी की संवैधानिक स्थिति, राजभाषा हिंदी के प्रयोग की प्रगति, राजभाषा हिंदी की प्रगति की समीक्षा तथा राजभाषा के रूप में हिंदी के विकास के सुझाव आदि मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इसके अतिरिक्त मानक भाषा की धारणा, भाषा के मानकीकरण की प्रक्रिया, भाषा के मानकीकरण के कारण, हिंदी के मानक रूप का विकास ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य तथा वर्तमान समय में मानकीकरण की समस्याएँ आदि विषयों पर भी सार्थक विचार-विमर्श किया जायेगा। इससे विद्यार्थियों को उपर्युक्त अवधारणाएं स्पष्ट हो सकेगी।

निर्धारित विषय :

  1. मानक भाषा की अवधारणा, भाषा के मानकीकरण की प्रक्रिया, भाषा के मानकीकरण के कारण, हिन्दी के मानक रूप का विकास ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, वर्तमान समय में मानकीकरण की समस्याएँ और हिन्दी के मानकीकरण की आवश्यकता।
  2. राजभाषा का तात्पर्य, राजभाषा व राष्ट्रभाषा में अंतर, ‘राजभाषा’ के रूप में हिन्दी की संवैधानिक स्थिति, राजभाषा हिन्दी के प्रयोग की प्रगति, राजभाषा हिन्दी की प्रगति की समीक्षा, राजभाषा के रूप में हिन्दी के विकास के सुझाव।
  3. राष्ट्रभाषा का अर्थ, राष्ट्रभाषा की कसौटियों, हिन्दी के राष्ट्रभाषा होने के तर्क, राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी की ऐतिहासिक विकास-यात्रा, स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी का विकास, राष्ट्रभाषा हिन्दी के विकास हेतु सुझाव।
  4. संपर्क भाषा, मातृभाषा एवं अन्य भाषा के रूप में हिन्दी, बोलचाल की सामान्य हिन्दी साहित्यिक हिन्दी।

माड्यूल 3

हिंदी के प्रयोग क्षेत्र और प्रयोजनमूलक हिंदी के प्रमुख प्रकार

हिंदी हमारे जीवन की भाषा है। हमारे समाज के अनेक क्षेत्रों में हिंदी भाषा का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है। जैसे- प्रशासन में हिंदी, विज्ञान क्षेत्र में हिंदी, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी में हिंदी, विधि तथा न्याय क्षेत्र में हिंदी, विदेश नीति में हिंदी, साहित्य और पत्रकारिता में हिंदी सिनेमा में हिंदी, मीडिया में हिंदी आदि हमारे जीवन के इतने व्यापक क्षेत्रों में हिंदी भाषा का प्रयोग होने के कारण इसके विभिन्न प्रकार और शैली भी विकसित हो गई है। इसके अतिरिक्त प्रयोजनमूलक हिंदी के प्रमुख प्रकारों के अंतर्गत कार्यालयी हिंदी, वैज्ञानिक हिंदी, व्यावसायिक हिंदी तथा संचार माध्यमों की हिंदी की भी चर्चा होगी। इससे विद्यार्थियों को रोजगार के नये-नये अवसरों का ज्ञान प्राप्त होगा।

निर्धारित विषय :

  1. समाज के विभिन्न क्षेत्रों में हिन्दी भाषा के प्रयोग की संकल्पना।
  2. प्रयोजनमूलक हिन्दी के प्रमुख प्रकार और उनके प्रमुख लक्षण।

माड्यूल-4

भाषा-व्यवहार तथा पारिभाषिक शब्दावली

इस इकाई के माध्यम से विद्यार्थी पत्राचार (पत्र-व्यवहार) के विभिन्न रूपों में से एक ’सरकारी पत्राचार’ के विषय में ज्ञान प्राप्त करेंगे। साथ ही टिप्पणी, मसौदा लेखन, सरकारी अथवा व्यावसायिक पत्र लेखन की जानकारी भी उन्हें प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त पारिभाषिक शब्दावली का अर्थ, उसके निर्माण के ऐतिहासिक प्रयास एवं प्रक्रिया पारिभाषिक शब्दावली के निर्माण की युक्तियाँ तथा सम्बन्धित विवाद, इसके निर्माण की उपयुक्त नीतियाँ तथा वैज्ञानिक तकनीकी शब्दावली आयोग द्वारा स्वीकृत सूत्र आदि से पाठकों को अवगत कराया जायेगा।

निर्धारित विषय :

  1. भाषा-व्यवहार: सरकारी पत्राचार, टिप्पणी तथा मसौदा लेखन, सरकारी अथवा व्यावसायिक पत्र-लेखन।
  2. पारिभाषिक शब्दावली का अर्थ एवं अर्थान्तर।

Assessment Plan

S.No

Assessment

Weightage

1

Assignment

20%

2

Presentation

30%

3

Term-End

50%

Readings:

  • हिंदी भाषा - डॉ. भोलानाथ तिवारी, किताब महल प्रकाशन, 2011
  • हिंदी भाषा का इतिहास - डॉ. भोलानाथ तिवारी, वाणी प्रकाशन, 2014
  • भाषा शिक्षण - डॉ. रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव, वाणी प्रकाशन, 2005
  • हिंदी भाषा का समाजशास्त्र - रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव, राधाकृष्ण प्रकाशन, 2013
  • भाषा और समाज रामविलास शर्मा, राजकमल प्रकाशन, 2014
  • प्रयोजनमूलक हिन्दी - विनोद गोदरे, वाणी प्रकाशन, 2019
  • प्रयोजनपरक हिन्दी - प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित, डॉ. योगेंद्र प्रताप सिंह, सुलभ प्रकाशन (लखनऊ)
  • प्रयोजनमूलक हिन्दी : सिद्धांत और प्रयोग - दंगल झाल्टे, वाणी प्रकाशन
  • प्रयोजनमूलक हिन्दी ‘ प्रयुक्ति और अनुवाद - डॉ. माधव सोनटक्के, वाणी प्रकाशन
  • प्रयोजनमूलक हिन्दी की नयी भूमिका - कैलाश नाथ पांडेय, लोकभारती प्रकाशन
  • प्रयोजनमूलक हिन्दी : संरचना एवं अनुप्रयोग डॉ. रामप्रकाश, डॉ. दिनेश गुप्त, राधाकृष्ण प्रकाशन
  • प्रयोजनमूलक हिन्दी - दिनेश प्रसाद सिंह, मोतीलाल बनारसीदास प्रकाशन
  • प्रयोजनमूलक हिन्दी - डॉ. बी.एन. पाण्डेय, किताब महल प्रकाशन
  • प्रयोजनमूलक हिन्दी - डॉ. नरेश मिश्रा, राजपाल एण्ड सन्स प्रकाशन
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