Course Type | Course Code | No. Of Credits |
---|---|---|
Discipline Elective | SES101401 | 4 |
Course Coordinator and Team: SES Faculty
Email of course coordinator: pcbabed@aud.ac.in
Pre-requisites: No
Course Description:
भाषा का सभी प्रकार की शिक्षा से निर्विवाद संबंध है। भाषा व्यक्ति को नई अवधारणाओं को समझने, विचारों का आदान-प्रदान करने एवं अपने साथियों के साथ विचारों के सम्प्रेषण में सक्षम बनाती है। शिक्षा में भाषा की भूमिका के मूल्यांकन के लिए व्यक्ति को भाषा को एक समग्र दृष्टिकोण से देखने की आवश्यकता है। भाषा को उसके संरचनात्मक, साहित्यिक, समाजशास्त्रीय, सांस्कृतिक, मनोवैज्ञानिक एवं सौंदर्यात्मक पहलुओं को उचित महत्त्व देते हुए बहुआयामी संदर्भों में जाँचने की जरूरत है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 समग्र शिक्षा के एक भाग के रूप में भाषायी कौशल प्रदान करने की परिकल्पना करती है। यह बेहतर संज्ञानात्मक विकास और विद्यार्थियों एक सम्पूर्ण विकास के लिए भाषायी कौशल बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देती है। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य पूर्व सेवाकालिक शिक्षकों को प्रभावी तरीके से सुनने, बोलने, पढ़ने, लिखने एवं भाषायी कौशल प्रदर्शित करने की क्षमता को प्रभावी तरीके से बढ़ाना है। भाषायी कौशल – सुनना, बोलना, पढ़ना एवं लिखना, सभी अकादमिक विषयों में ज्ञान के निर्माण के लिए, रोजमर्रा के कार्यों में प्रभावी ढंग से भाग लेने एवं रोजमर्रा के जीवन को समझने के लिए आवश्यक है। इस पाठ्यक्रम से विद्यार्थियों में समझ के साथ पढ़ने में समझ बनाने, चिंतन एवं अवधारणा बनाने की क्षमता का विकास होगा। यह पाठ्यक्रम पूर्व सेवाकालिक शिक्षकों के आलोचनात्मक चिंतन का विकास करने एवं प्रभावी सम्प्रेषण के विकास में सहायक होगा। प्रस्तुत पाठ्यक्रम में व्यावहारिक एवं क्रियात्मक गतिविधियां शामिल होंगी जो पूर्व सेवाकालिक शिक्षकों में विभिन्न स्थितियों एवं संदर्भों में भाषायी कौशलों के प्रयोग के विकास में सहायक होंगी।
Course Objectives:
- विद्यालयी पाठ्यचर्या के संदर्भ में भाषा के महत्त्व, कार्य, प्रकृति एवं भाषा शिक्षण के उद्देश्यों को समझना।
- सम्प्रेषण के प्रकार, चुनौतियों एवं कक्षा में प्रभावी सम्प्रेषण की रणनीतियों का प्रयोग करना।
- विभिन्न समितियों एवं आयोगों की रिपोर्ट एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीतियों में भाषा की स्थिति (विशेष रूप से हिन्दी भाषा) का आलोचनात्मक विश्लेषण करना।
- भारत में बहुभाषिकता की संभावनाओं एवं चुनौतियों को समझना।
- भाषा कौशलों का विकास, उनकी चुनौतियां एवं उनका मूल्यांकन करना।
Course Outcomes:
इस पाठ्यक्रम को पढ़ने के बाद विद्यार्थी-
- प्रभावी ढंग से सुनने, बोलने, पढ़ने एवं लिखने और आलोचनात्मक चिंतन के लिए अपना ज्ञान एवं क्षमता प्रदर्शित कर सकेंगे।
- भाषा एवं संज्ञान के बीच के संबंध को पहचान सकेंगे।
- विभिन्न समितियों एवं आयोगों की रिपोर्ट एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीतियों में भाषा की स्थिति (विशेष रूप से हिन्दी भाषा) का आलोचनात्मक विश्लेषण कर सकेंगे।
- भारत में बहुभाषिकता की संभावनाओं एवं चुनौतियों को समझ सकेंगे।
- विचारों के बेहतर सम्प्रेषण के लिए अपना भाषायी ज्ञान एवं कौशल का प्रयोग कर सकेंगे।
- अंतर-व्यक्ति संबंधों एवं सामाजिक कौशलों का विकास कर सकेंगे।
Brief description of the modules:
मॉडयूल 1: हिन्दी भाषा: नीति एवं सिद्धांत प्रस्तुत मॉडयूल में भाषा का अर्थ, प्रकृति, महत्त्व, कार्य एवं रूप, भाषा एवं बोली और मानक भाषा पर विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए हिन्दी भाषा की प्रकृति एवं मातृभाषा में शिक्षा के महत्त्व पर चर्चा की जाएगी जो विद्यार्थियों को यह समझने में मदद करेगा कि भाषा कैसे विद्यार्थियों के संज्ञानात्मक विकास में मदद करती है, विशेष रूप से बहुभाषिकता संज्ञानात्मक विकास को कैसे सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। इस मॉडयूल में संविधान, विभिन्न समितियों एवं आयोगों की रिपोर्ट एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीतियों में भाषा की स्थिति (विशेष रूप से हिन्दी भाषा) के आलोचनात्मक विश्लेषण पर विस्तार पूर्वक चर्चा करवाई जाएगी।
मॉडयूल 2: भाषा कौशल एवं समझ का विकास प्रस्तुत मॉडयूल में भाषा कौशलों का महत्त्व, उद्देश्य एवं प्रकारों के साथ-साथ भाषायी कौशलों (सुनना, बोलना, पढ़ना एवं लिखना) का अर्थ, इनके विकास के लिए क्रियाएं एवं इन भाषा कौशलों के विकास में शिक्षक की भूमिका पर विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए इनके विकास के लिए कक्षा में विभिन्न गतिविधियां करवाई जाएगी। इसके साथ ही भाषा कौशल एवं समझ के विकास के संबंध पर चर्चा करते हुए समझ के विकास में शिक्षकों की भूमिका पर चर्चा की जाएगी। समझ के विकास के लिए विभिन्न गतिविधियां करवाने के साथ साथ समझ के मूल्यांकन पर भी चर्चा की जाएगी।
मॉडयूल 3: अकादमिक लेखन एवं औपचारिक सम्प्रेषण (4 weeks) प्रस्तुत मॉडयूल में अकादमिक लेखन का अर्थ, उसके घटक, उसके विकास एवं अकादमिक भाषा के विकास से संबंधित चर्चा करते हुए अकादमिक लेखन को कैसे विकसित किया जा सकता है इस पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही सम्प्रेषण के अर्थ, प्रकार, उद्देश्य के साथ-साथ प्रारंभिक समय से नए युग तक मानव सम्प्रेषण की यात्रा पर चर्चा करते हुए सम्प्रेषण की वर्तमान चुनौतियों एवं बाधाओं पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
मॉडयूल 4: आलोचनात्मक चिंतन का विकास इस मॉडयूल में सम्प्रेषण एवं भाषा कौशलों के विकास के लिए आलोचनात्मक चिंतन, विश्लेषणात्मक चिंतन एवं सृजनात्मक चिंतन के महत्त्व, उद्देश्य पर चर्चा करते हुए इनका विकास कैसे करवाया जाए इस पर गतिविधि सहित विस्तार से चर्चा की जाएगी। साथ ही विभिन्न संदर्भों एवं दृष्टिकोणों से हिन्दी भाषा की पाठ्यपुस्तकों का आलोचनात्मक विश्लेषण करवाया जाएगा जिससे विद्यार्थियों में आलोचनात्मक चिंतन का विकास हो सके। इसके साथ ही समस्या समाधान विधि में आलोचनात्मक चिंतन एवं तर्क की भूमिका पर विचार करते हुए चर्चा की जाएगी।
Assessment Plan
Assessment |
Weightage |
Assessment-1 (Written Assignment) |
40% |
Assessment-2 (Presentation) |
20%
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Assessment-3 (End-term) |
40% |
Readings:
- कुमार, कृष्ण; बच्चे की भाषा और अध्यापक; राष्ट्रीय पुस्तक न्यास; भारत; संस्करण 1996
- Sinha, S. (2012). Reading without meaning: The dilemma of Indian classrooms.
- पाण्डे, लता (संपा.) (2008), पढ़ने की दहलीज़ पर, नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद
- पाण्डे, लता (संपा.) (2008), पढ़ना सिखाने की शुरुआत, नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद
- सिंह, संध्या; कपूर कीर्ति, (2010), समझ का माध्यम, नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद
- श्रीवास्तव, डॉ. रवीन्द्रनाथ (2016), भाषा शिक्षण, नई दिल्ली: वाणी प्रकाशन
- तिवारी, भोलानाथ (2011), हिन्दी भाषा की संरचना, नई दिल्ली: वाणी प्रकाशन
- तिवारी, भोलानाथ (2016), हिन्दी भाषा, नई दिल्ली: किताब महल
- Agnihotri, R.K. (1996). Kaun bhasha kaun boli. Sandarbh13, 37-43
- भारतीय भाषाओं का शिक्षण: राष्ट्रीय फोकस समूह का आधार पत्र; राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद; संस्करण 2009
- मा.सं.वि.मं. (1986) राष्ट्रीय शिक्षा नीति, नई दिल्ली : भारत सरकार
- रा.शै.अ.प्र.प. (2005) राष्ट्रीय पाठचर्या की रूपरेखा, नई दिल्ली
- मा.सं.वि.मं. (2020) राष्ट्रीय शिक्षा नीति, नई दिल्ली : भारत सरकार
- वायगोतस्की, (2009), विचार और भाषा (अनु.), नई दिल्ली: ग्रंथ शिल्पी
- सिंह, संध्या; कपूर कीर्ति, (2010), समझ का माध्यम, नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद
- Agnihotri, R.K. (1995). Multilingualism as a classroom resource. In K. Heugh, South Africa (pp.3 Heinemann Educational Books.
- MHRD, Report of Education Commission 1964-66, Ministry of Education, Govt. of India
Suggested Reading
- तिवारी, भोलानाथ; भाषा विज्ञान प्रवेश; किताबघर प्रकाशन; नयी दिल्ली; संस्करण 2013
- Agnihotri, R. K. (2009). Language and dialect. Learning Curve, 13.
- Agnihotri, R.K., & Kumar, S. (2001). Bhasha, boli, aur samaj. Deshkal
Publications.
- Priyadarshini, Mukul. (2012). Hindi: A language of serious Discourse? Language and Language Teaching (1) pp18-21.