Course Type | Course Code | No. Of Credits |
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Discipline Core | SOL2HN310 | 4 |
Semester and Year Offered: 3, 2021
Course Coordinator: गोपाल जी प्रधान
Email of course coordinator: gopalji[at]aud[dot]ac[dot]in
Pre-requisites: As per AUD guideline
Course Objectives/Description:
- हिंदी भाषा के ज्ञान भंडार से विद्यार्थियों को परिचित कराना।
- विद्यार्थी में साहित्य व ज्ञान के अंतरसंबंधों की समझ विकसित करना।
- प्रकृति और मानव जीवन का ज्ञानात्मक विश्लेषण।
Course Outcomes:
विद्यार्थी साहित्य को ज्ञान-संसार के परिप्रेक्ष्य में मूल्यांकित कर सकेंगे।अंतरनुशासनिकता के प्रति विद्यार्थी का रुझान बढ़ेगा।विद्यार्थी गैर-साहित्यिक प्रतिमानों की साहित्यिक उपादेयता की समझ विकसित कर सकेंगे।हिंदी-रचना-सम्पदा को देखने की एक समग्र दृष्टि विकसित कर सकेंगे।
Brief description of modules/ Main modules:
माड्यूल 1:
दर्शन- राहुल, आचार्य नरेन्द्र देव, रामविलास शर्मा, विवेकानंद, सहजानंद सरस्वती
हमारे देश में दार्शनिक चिंतन की सुदीर्घ परम्परा रही है । हिन्दी के लेखकों को इस चिंतन की विरासत सहज ही उपलब्ध रही है । भारतीय दर्शनों में षड दर्शन के अतिरिक्त बौद्ध और जैन दर्शन की मौजूदगी के चलते यह परम्परा विविधतापूर्ण रही है । हिन्दी के विचारकों में भी हमें यह विविधता नजर आती है । इस माड्यूल में कुछ प्रतिनिधि विचारकों के एतद्विषयक लेखन का परिचय प्रदान किया जायेगा ।
माड्यूल 2:
अर्थशास्त्र- महावीर प्रसाद द्विवेदी, देव नारायण द्विवेदी
भारत में बहुत पहले ही कौटिल्य ने अर्थशास्त्र नामक पुस्तक लिखी थी लेकिन उसमें समूची राजव्यस्था के संचालन का वर्णन है । अनुशासन के रूप में आधुनिक काल में जिस अर्थशास्त्र का यूरोपीय देशों में विकास हुआ उसका प्रभाव हमारे देश में भी पड़ा । हिन्दी में मानक भाषा का विकास करने में अग्रणी चिंतक महावीर प्रसाद द्विवेदी ने साहित्येतर ज्ञान को भी हिन्दी में लाने का अनथक प्रयास किया । अनुशासन के रूप में भी उन्होंने इसे संपत्तिशास्त्र कहकर दृष्टि की नवीनता का परिचय दिया । इसी क्रम में देव नारायण द्विवेदी की पुस्तक देश की बात में भी औपनिवेशिक आर्थिकी का प्रतिपक्ष निर्मित करने का गम्भीर प्रयास दिखायी पड़ता है । किताब का नाम गणेश सखाराम देउस्कर की किताब से मिलते जुलते होने के कारण इस पर नजर नहीं जाती लेकिन उपनिवेशवाद विरोधी आर्थिकी के लिहाज से यह किताब बेहद महत्व की है । इस माड्यूल में विद्यार्थी हिन्दी के इस उपेक्षित पहलू से परिचित होंगे ।
माड्यूल 3:
समाजशास्त्र, संस्कृति- वासुदेव शरण अग्रवाल, श्यामाचरण दुबे, पूरनचंद्र जोशी, दिनकर, लोहिया और महादेवी
हिन्दी के साहित्येतर लेखन में समाज और संस्कृति का क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है । साहित्यकारों में हजारी प्रसाद द्विवेदी, अज्ञेय और कुबेरनाथ राय के लेखन में संस्कृति के प्रश्न पर प्रभूत विचार हुआ है । इस माड्यूल में विद्यार्थियों का परिचय विचारकों की ऐसी दुनिया से होगा जो साहित्य के आसपास रहते हुए भी सामाजिक विज्ञानों की मुख्यधारा में मौजूद रहे और इस विषय पर हिन्दी भाषा में लेखन किया है । समाज और संस्कृति को देखने की स्त्री दृष्टि के भी अध्यापन का प्रयास इस माड्यूल में किया जायेगा ।
माड्यूल 4:
पर्यावरण- अनुपम मिश्र, सोपान जोशी, सुषमा नैथानी
पूरी दुनिया में पर्यावरण और पारिस्थितिकी ज्ञान की अत्यंत महत्वपूर्ण शाखा के रूप में विकसित हुई है । हिन्दी में इस विषय पर जो भी लेखन उपलब्ध है उससे परिचय हिन्दी के अध्येता के लिए बहुत आवश्यक है । नदियों के बारे में हवल्दार त्रिपाठी और बेगड़ के लेखन के अतिरिक्त अनुपम मिश्र ने राजस्थान में जल संरक्षण की पारम्परिक विधियों का न केवल संधान और दस्तावेजीकरण किया बल्कि उसके अनुप्रयोग से बहुतेरे इलाकों का हरितीकरण भी किया । इसी क्रम में सोपान मिश्र ने भी उस अधुनातन ज्ञानानुशासन में योगदान किया है । हाल में जलवायु परिवर्तन के साथ खेती की संरचना को लेकर भी कुछ चिंतकों ने विचार किया है । पारिस्थितिकी और साहित्य की पारस्परिकता के नजरिये से इस माड्यूल का अपार महत्व है ।
Assessment Details with weights:
S. No. | Assessment | Weightage |
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Class Assignment | 25% |
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Mid-semester Exam | 25% |
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Class Presentation | 25% |
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Term Paper | 25% |
Reading List:
- दर्शन -दिग्दर्शन, राहुल सांकृत्यायन, किताब महल, दिल्ली, 2018
- बौद्ध धर्म दर्शन, आचार्य नरेंद्र देव, मोतीलाल बनारसीदास, वाराणसी, 2017
- गीता हृदय, सहजानन्द सरस्वती, http://www.hindisamay.com/content/1609/1/सहजानन्द-सरस्वती-रचनावली-स्वामी-सहजानन्द-सरस्वती-रचनावलीखंड-3.cspx
- राजयोग, विवेकानन्द, प्रभात प्रकाशन, दिल्ली, 2014
- देश की बात, देव नारायण द्विवेदी, http:/ndl.iitkgp.ac.in/document/MmJBMDNsUjEwVEpjQ TlndG5 Geit0TGtXek50d2tiVE lCUkl6REdsNmZDRT0
- पृथ्वीपुत्र, वासुदेव शरण अग्रवाल, प्रभात प्रकाशन, दिल्ली, 2018
- परिवर्तन और विकास के सांस्कृतिक आयाम, पूरनचंद्र जोशी, राजकमल, दिल्ली, 2009
- संस्कृति के चार अध्याय, रामधारी सिंह दिनकर, लोकभारती, प्रयागराज, 2011
- श्रृंखला की कड़ियां, महादेवी वर्मा, लोकभारती, प्रयागराज, 2016
- आज भी खरे हैं तालाब, अनुपम मिश्र, प्रभात, दिल्ली, 2019
- राजस्थान की रजत बूंदें, अनुपम मिश्र, गांधी शांति प्रतिष्ठान, दिल्ली, 1995
- अन्न कहां से आता है, सुषमा नैथानी, नेशनल बुक ट्रस्ट, दिल्ली, 2020
- बिहार की नदियां, हवल्दार त्रिपाठी, बिहार हिंदी ग्रंथ अकादमी, पटना, 2012