Course Type | Course Code | No. Of Credits |
---|---|---|
Discipline Core | NSOL1HN108 | 4 |
Course Coordinator and Team: SES Faculty
Email of course coordinator: pcbabed@aud.ac.in
Pre-requisites: No
- Course Description:
प्रस्तावित पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को साहित्यिक पाठों के ज़रिए सामाजिक यथार्थ का विश्लेषण करने में सक्षम बनाएगा तथा भारतीय समाज की विविधता, जटिलता, परम्परा, संस्कृति आदि से विद्यार्थियों को अवगत कराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा | इस पाठ्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थी हिंदी गद्य के विभिन्न रूपों, परिवेशगत आयामों, स्थानीय लक्षणों की गहनता के साथ पड़ताल करने में सक्षम हो सकेगा | उपन्यास साहित्य के अध्ययन के माध्यम से विद्यार्थियों की रचनात्मक क्षमता, कल्पनाशीलता आदि का विकास करना भी इस पाठ्यक्रम का प्रधान उद्देश्य रहेगा |
- Course Objectives:
हिंदी उपन्यास पाठ्यक्रम का अध्ययन विद्यार्थियों को साहित्य की एक प्रमुख गद्य विधा से परिचित कराता है, जो समाज, संस्कृति और मानव जीवन की विविधताओं को विस्तृत रूप में प्रस्तुत करता है। उपन्यास केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि समाज का दर्पण होता है, जो सामाजिक, राजनीतिक, ऐतिहासिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को उजागर करता है। इस पाठ्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य विद्यार्थियों को उपन्यास साहित्य की संरचना, शैली, कथानक, चरित्र-चित्रण और भाषा की विविधताओं से परिचित कराना है। इस अध्ययन के माध्यम से विद्यार्थी प्रेमचंद, रेणु, भगवतीचरण वर्मा, अज्ञेय, यशपाल जैसे महान उपन्यासकारों की रचनाओं को समझकर उनके साहित्यिक और सामाजिक योगदान का मूल्यांकन कर सकते हैं। उपन्यास पढ़ने से उनकी कल्पनाशक्ति, आलोचनात्मक दृष्टिकोण और भाषा-शैली की समझ विकसित होती है। साथ ही, यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को विभिन्न यथार्थवादी, आदर्शवादी, ऐतिहासिक और मनोवैज्ञानिक उपन्यासों के माध्यम से जीवन और समाज की गहरी समझ प्रदान करता है।
इसके अतिरिक्त, हिंदी उपन्यास पाठ्यक्रम विद्यार्थियों में साहित्य के प्रति रुचि जगाने, भाषा-संवेदना को प्रखर करने और सृजनात्मक अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करने का कार्य करता है। यह अध्ययन न केवल साहित्यिक संवेदनशीलता को बढ़ाता है, बल्कि व्यक्तित्व विकास और नैतिक मूल्यों को भी सुदृढ़ करता है।
- Course Outcomes:
- हिंदी उपन्यासों के इतिहास एवं विकास का परिचय प्राप्त हो सकेगा ।
- उपन्यासों के माध्यम से भारतीय समाज में आए परिवर्तनों का बोध विकसित होगा ।
- स्वातंत्र्योत्तर भारत में समाज द्वारा जिन चुनौतियों का सामना किया गया, उसका परिचय मिलेगा ।
- साहित्य में जो नई विचार-दृष्टियां जन्म ले रही थीं, उपन्यास साहित्य के माध्यम से उनकी समझ विकसित होगी।
- Brief description of the modules:
प्रस्तुत पाठ्यक्रम मुख्य रूप से तीन मॉड्यूल्स पर केन्द्रित रहेगा :-
मॉड्यूल -1- इस माड्यूल के अंतर्गत हिंदी उपन्यास के उदय और उसके इतिहास पर चर्चा करते हुए हिंदी के पहले उपन्यास को लेकर विद्वानों के बीच जो मतभेद हैं उस पर भी विद्यार्थियों का ध्यान आकृष्ट किया जाएगा | इसके साथ ही प्रस्तावित मॉड्यूल में उपन्यासों के विकासक्रम को दृष्टिगत रखते हुए स्वतंत्रता पूर्व एवं स्वतंत्रता पश्चात् लिखे गए उपन्यासों के शिल्प पर विस्तार से चर्चा की जाएगी ताकि विद्यार्थी प्रारंभिक चरण से लेकर स्वातंत्र्योत्तर तक हिंदी उपन्यास यात्रा में जो परिवर्तन परिलक्षित होते हैं उनसे भलीभांति परिचित हो सकें |
हिंदी उपन्यास का स्वरुप एवं विकास
- हिंदी उपन्यास का संक्षिप्त इतिहास
- हिंदी उपन्यास का विकासक्रम
- हिंदी उपन्यास का रचनागत वैशिष्ट्य
मॉड्यूल -2- विद्यार्थी इस मॉड्यूल में स्वतंत्रता पूर्व दो ऐसे महत्त्वपूर्ण उपन्यासकारों की रचनाओं का अध्ययन करेंगे जिन्होंने अपनी लेखन शैली से हिंदी गद्य विधा को न केवल एक अलग मुकाम प्रदान किया बल्कि आने वाली लेखकीय पीढ़ियों के लिए भी एक नया मार्ग प्रशस्त किया | ‘गबन’ और ‘सुनीता’ की कथा अपने-अपने तरीके से समाज की रूढ़ियों और परम्पराओं पर प्रहार करती है | प्रेमचंद ‘गबन’ के ज़रिये एक ओर जहाँ टूटते मूल्यों के अँधेरे में भटकते मध्यवर्ग का चित्रण करते हैं वहीं दूसरी ओर जीवन की वास्तविकता की छानबीन गहनता के साथ करते हुए, भ्रमों को तोड़ते हुए, नए रास्ते तलाशने की प्रेरणा भी देते हैं | वहीं जैनेन्द्र कुमार ‘सुनीता’ में नारी परिप्रेक्ष्य में जिन समस्याओं को उठाते हैं अपनी ओर से उनके लिए कोई समाधान प्रस्तुत नहीं करते | प्रस्तुत मॉड्यूल में विद्यार्थी दो सफल उपन्यासकारों की रचनाओं का न केवल तुलनात्मक अध्ययन कर सकेंगे बल्कि तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक मूल्यों के आईने में साहित्य का विश्लेषण करने में भी सक्षम हो सकेंगे |
स्वतंत्रता पूर्व हिंदी उपन्यास
1. गबन – प्रेमचंद
2. सुनीता - जैनेंद्र कुमार
मॉड्यूल -3- प्रस्तावित मॉड्यूल में विद्यार्थियों को अमृतलाल नागर द्वारा कृत उपन्यास “मानस का हंस” का अध्ययन कराया जाएगा जिसका कथानक गोस्वामी तुलसीदास के जीवन पर आधारित है | इसके अतिरिक्त प्रस्तुत माड्यूल में मन्नू भंडारी द्वारा रचित उपन्यास “महाभोज” का अध्ययन भी अपेक्षित रहेगा | स्वतंत्रता के पश्चात् हिंदी गद्य विधा में महिला लेखन बहुत तेजी से बढ़ा | मन्नू भंडारी, कृष्णा सोबती,उषा प्रियम्वदा, प्रभा खेतान, नासिरा शर्मा, आदि लेखिकाओं ने अपने लेखनी से न केवल नारी संवेदनाओं को एक नई परिभाषा दी बल्कि सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक आदि क्षेत्रों के विषय में भी खुलकर लिखा | ‘महाभोज’ में मन्नू भंडारी ने अपराध और राजनीति के गठजोड़ का यथार्थवादी चित्रण किया है | प्रस्तुत इकाई में विद्यार्थी स्वातंत्र्योत्तर विषयवस्तु के स्तर पर स्त्री एवं पुरुष रचनाकारों की कृतियों का तुलनात्मक विश्लेषण करने के साथ-साथ औपन्यासिक शिल्प में आए परिवर्तनों से भी परिचित हो पाएंगे |
स्वातंत्र्योत्तर हिंदी उपन्यास
- मानस का हंस - अमृतलाल नागर
- महाभोज – मन्नू भंडारी
Assessment Plan
S.No |
Assessment |
Weightage |
1 |
Assignment |
20% |
2 |
Presentation |
30% |
3 |
Term-End |
50% |
Readings:
- हिंदी साहित्य का इतिहास- रामचंद्र शुक्ल, लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, 2004.
- हिंदी उपन्यास का इतिहास – गोपाल राय, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, 2000.
- उपन्यास की संरचना, गोपाल राय, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, 2006
- हिंदी उपन्यास का विकास- मधुरेश, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, 2014.
- प्रेमचंद और उनका युग- रामविलास शर्मा, राजकमल प्रकाशन, 2016
- हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास- बच्चन सिंह, राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली, 2018
- उपन्यास और लोक जीवन – राल्फ फाक्स, पीपुल्स पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली,1957
- उपन्यास का उदय – आयन वाट, हरियाणा साहित्य अकादमी, 1990