Course Type | Course Code | No. Of Credits |
---|---|---|
Discipline Elective | SES101302 | 2 |
Course Coordinator and Team: SES Faculty
Email of course coordinator: pcbabed@aud.ac.in
Pre-requisites: No
- Course Description:
यह पाठ्यक्रम हिन्दी शिक्षणशास्त्र की शृंखला का प्रथम भाग है जिसके अंतर्गत हिन्दी शिक्षणशास्त्र को समग्रता से प्रस्तुत किया गया है। यह पाठ्यक्रम हमारे देश के विविध भाषायी, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संदर्भों में मातृभाषा के रूप में हिन्दी भाषा के शिक्षण-अधिगम को प्रस्तुत करता है। विभिन्न शोध यह दर्शाते हैं कि 2 से 8 वर्ष की आयु के बच्चे भाषा बहुत ही तेजी से सीखते हैं। बच्चे अपनी मातृभाषा अपने घर एवं आस-पास में होने वाली बातचीत द्वारा ग्रहण कर लेते हैं जिससे उनके मातृभाषा सीखने के कौशल का विकास आसानी से हो जाता है। यह भी सर्वविदित है कि बच्चे कोई भी अमूर्त अवधारणा को अपनी मातृभाषा या स्थानीय भाषा में ज्यादा तेजी से सीखते हैं। इसलिए बच्चे को उनकी मातृभाषा/स्थानीय भाषा के शिक्षण-अधिगम के लिए बच्चे को उस भाषा से संबंधित अनुभवों का अवसर देना होगा। विद्यार्थी-शिक्षकों में हिन्दी भाषा शिक्षण कौशल के विकास के लिए उनको भाषा की प्रकृति, अर्थ, महत्त्व, कार्य आदि समझने एवं हिन्दी भाषा कौशल से जुड़े अनुभव प्रदान करने की आवश्यकता है। साथ ही उनको हिन्दी भाषा के सैद्धांतिक, एतिहासिक एवं नीतिगत परिप्रेक्ष्य के साथ-साथ विद्यार्थियों में भाषायी कौशलों के विकास के लिए सिखाने के लिए उपयोगी उपागम, तरीके, संसाधनों आदि को भी समझना होगा। यह पाठ्यक्रम विद्यार्थी शिक्षकों को इन सभी आयामों को समझने में मदद करेगा जिससे वे अपने विद्यार्थियों को एवं उनके हिन्दी भाषा सीखने के सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक आयामों को समझ सकें।
- Course Objectives:
- विद्यालयी पाठ्यचर्या के संदर्भ में हिन्दी भाषा एवं शिक्षण के महत्त्व, कार्य एवं प्रकृति को समझना।
- हिन्दी भाषा के सैद्धांतिक, ऐतिहासिक एवं नीतिगत परिप्रेक्ष्य एवं हिन्दी भाषा के वर्तमान परिदृश्य को समझना।
- भाषा शिक्षण के लिए उपयोग की जाने वाली विधियों, दृष्टिकोणों और सामग्रियों के बारे में सीखना।
- सम्प्रेषण में भाषा की विभिन्न भूमिकाओं को समझना।
- भाषा सीखने के लिए बच्चों एवं उनके सीखने की विविध जरूरतों की पहचान करना।
- Course Outcomes:
इस पाठ्यक्रम को पढ़ने के बाद विद्यार्थी-
- भाषा की प्रकृति, अर्थ एवं कार्य बता सकेंगे।
- भाषा के सामान्य सिद्धांत एवं विशेषताएँ बता सकेंगे।
- भाषा के सैद्धांतिक, एतिहासिक एवं नीतिगत परिप्रेक्ष्य और वर्तमान परिदृश्य की समझ दर्शा सकेंगे।
- भाषा शिक्षण के लक्ष्य एवं उद्देश्यों पर चर्चा कर सकेंगे।
- अनुदेशात्मक योजनाओं की आवश्यकता एवं महत्त्व को बात सकेंगे।
- भाषा अधिगम के लिए विद्यार्थियों की विविधताओं एवं उनकी विविध आवश्यकताओं की पहचान कर सकेंगे।
- विभिन्न भाषा कौशलों को पहचानकर उनका प्रदर्शन कर सकेंगे।
- सम्प्रेषण में भाषा की विभिन्न भूमिकाओं की पहचान कर सकेंगे।
- विभिन्न परिप्रेक्ष्यों में भाषा का प्रयोग कर सकेंगे जैसे व्याकरण एवं शब्दावली का कहानी एवं कविताओं के माध्यम से ज्ञान।
- भाषा शिक्षण के लिए विभिन्न विधियों, उपागमों एवं सामग्रियों का प्रयोग करना सीखेंगे।
- Brief description of the modules:
Module 1: भाषा की प्रकृति एवं विषय-क्षेत्र
भाषा की प्रकृति बहुआयामी एवं जटिल है जो मानव सम्प्रेषण, संज्ञान एवं संस्कृति के लिए अति आवश्यक है। भाषा मुख्य रूप से प्रतीकात्मक व्यवस्था है जो मनुष्यों को शब्दों, ध्वनियों, संकेतों एवं भावों के माध्यम से अर्थ संप्रेषित करने में सक्षम बनाती है। ये प्रतीक विभिन्न अवधारणाओं, वस्तुओं, कार्यों एवं विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो विद्यार्थियों को विस्तृत जानकारी देने एवं समझने में मदद करते हैं। यह मॉडयूल विद्यार्थियों को विभिन्न स्तरों पर हिन्दी भाषा की संरचनात्मक प्रकृति से परिचित करवाएगा जिसमें ध्वनि व्यवस्था, शब्द एवं पद व्यवस्था, वाक्य व्यवस्था और व्यावहारिकता (संदर्भ में भाषा का उपयोग) शामिल हैं। यह संरचनात्मक प्रकृति विद्यार्थियों को ज्ञान को प्रभावी ढंग से व्यवस्थित करने एवं संप्रेषित करने में सक्षम बनती है।
Module 2: भाषा, शिक्षा, समावेशन एवं समाज
भाषा स्वाभाविक रूप से सामाजिक एवं सांस्कृतिक है, जो विभिन्न भाषायी समुदायों की अन्तर्क्रिया, परंपराओं एवं मानदंडों से आकार लेती है। यह न केवल सम्प्रेषण का साधन है बल्कि इसके द्वारा कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान, सांस्कृतिक मूल्यों, मान्यताओं एवं सामाजिक संबंधों को भी व्यक्त कर सकता है। भाषायी विविधता दुनिया भर में मानव समाज की समृद्धि एवं जटिलता को दर्शाती है। इस मॉडयूल में भाषा से जुड़े हुए अन्य मुद्दों जैसे अस्मिता, सत्ता, जेंडर एवं समाज आदि की चर्चा की गई है। विभिन्न संदर्भों में हिन्दी भाषा में दक्षता सामाजिक एवं आर्थिक अवसरों से जुड़ी हुई है जिसके कारण शिक्षा, रोजगार एवं संसाधनों तक पहुँच में असमानताएँ पैदा होती हैं। इस मॉडयूल में सर्वाधिक जन-प्रचलित हिन्दी भाषा नियोजन के प्रयासों को समझने एवं विकसित करने का प्रयास किया जाएगा जिससे भाषायी समावेशन एवं भाषायी विविधता से संबंधित व्यापक सामाजिक-सांस्कृतिक लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।
Module 3a: भाषा के शिक्षाशास्त्रीय उपागम
यह मॉडयूल हिन्दी भाषा शिक्षणशास्त्र पर केंद्रित है। किसी बच्चे का भाषा सीखना स्वाभाविक एवं सहज रूप से उपलब्ध है परंतु भाषा के अन्य कौशल-पढ़ना, लिखना, सही उच्चारण, उचित शब्दावली का विभिन्न संदर्भों में प्रयोग करना, प्रवाह, बोध आदि सीखने के लिए शिक्षा की आवश्यकता होती है। हिन्दी भाषा सीखने के दृष्टिकोण, सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षिक संदर्भों के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। यह मॉडयूल हिन्दी भाषा शिक्षण के विभिन्न आयामों एवं उपागमों से परिचय करवाएगा जैसे-उच्चारण शिक्षण, वर्तनी शिक्षण, शब्द शिक्षण, अर्थ निकालना आदि। यह विद्यार्थियों को विषय-वस्तु में अंतर्निहित दृष्टिकोणों एवं ढांचों पर प्रश्न करने एवं चुनौती देने और अपने स्वयं के आलोचनात्मक कौशलों को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
Module 3b: कक्षा में लेखन शिक्षाशास्त्र
यह मॉडयूल लेखन शिक्षाशास्त्र पर केंद्रित है। कक्षा में लेखन निर्देश विद्यार्थियों को मौखिक भाषा, चिंतन एवं पठन के बीच संयोजन बनाने में सक्षम बनाते हैं। विद्यार्थियों में लिखने की समझ ब्लैकबोर्ड या पाठ्यपुस्तकों से देखकर लिखने या रटने से नहीं आती। बच्चों में स्वतंत्र रूप से लेखन क्षमता का विकास होना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। प्रारंभिक कक्षाओं में लेखन प्रक्रिया को मॉडलिंग पद्धति से सिखाया जा सकता है (स्थान का उचित प्रयोग, विराम चिह्न, किसी पुस्तक पढ़ने या यात्रा के बाद कहानी को ब्लैकबोर्ड पर लिख देना), संवेदी उपकरणों का उपयोग करते हुए बच्चों को अपना नाम लिखने के लिए प्रोत्साहित करना (जैसे- रेत/हवा में, हाथ से अक्षरों को लिखना) अपनी जर्नल/नोटबुक में अपने अनुभव के बारे में लिखना,बच्चों से किसी अनुभव/वस्तु के बारे में चित्र बनाने और नई/पारंपरिक वर्तनी का उपयोग करते हुए उसके बारे में लिखने को कहना। कक्षा में अनौपचारिक मूल्यांकन के लिए लेखन की 6 विशेषताओं (ध्वनि, विचार, प्रस्तुति, परिपाटी(नियमों का पालन), व्यवस्थित, शब्द चयन एवं वाक्य प्रवाह) का उपयोग किया जा सकता है।
Assessment Plan
S.No |
Assessment |
Weightage |
1 |
Assignment |
20% |
2 |
Presentation |
30% |
3 |
Term-End |
50% |
Readings:
- अग्निहोत्री, रमाकांत; भारतीय भाषाएँ व संविधान; एकलव्य फाउंडेशन; भोपाल; संस्करण 2021
- कुमार, कृष्ण; पढ़ना जरा सोचना; जुगनू प्रकाशन; तक्षशिला एजुकेशनल सोसाइटी, नई दिल्ली; संस्करण 2019
- कुमार, कृष्ण; बच्चे की भाषा और अध्यापक; राष्ट्रीय पुस्तक न्यास; भारत; संस्करण 1996
- तिवारी, भोलानाथ; भाषा विज्ञान प्रवेश; किताबघर प्रकाशन; नयी दिल्ली; संस्करण 2013
- निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 Retrieved from https://www.edudel.nic.in/upload/upload_2017_18/rteact_hindi_dt_18072017.pdf
- भारतीय भाषाओं का शिक्षण: राष्ट्रीय फोकस समूह का आधार पत्र; राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद; संस्करण 2009
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत सरकार Retrieved from: https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/nep_update/NEP_final_HI_0.pdf
- श्रीवास्तव, . रवीन्द्रनाथ; भाषा शिक्षण; वाणी प्रकाशन; नयी दिल्ली; संस्करण 2016
- सिंह वीरेंद्र और रजनी; पढ़ना: कुछ सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलू; शिक्षा विमर्श; सितंबर-अक्तूबर 2015.
- सिंह, निरंजनकुमार; माध्यमिक विद्यालयों में हिन्दी शिक्षण; राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी; जयपुर; संस्करण 2011
- स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा(2023), राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद , नई दिल्ली Retrieved from: https://ncf.ncert.gov.in/webadmin/assets/ba0dd5d8-b8f9-4315-9e14-403752acdc26 (Chapter 2: Language education)
- Agnihotri, Ramakant (2008) Multilinguality for India. Retrieved from https://www.india-seminar.com/2008/590/590_rama_kant_agnihotri.htm
- कुमार, कृष्ण; बच्चे की भाषा और अध्यापक; राष्ट्रीय पुस्तक न्यास; भारत; संस्करण 1996
- द्विवेदी, मुकुंद (संपा.) भाषा विमर्श; हिन्दी अकादमी; दिल्ली 2002
- भाटिया, सुमन; बालक में भाषा विकास; केन्द्रीय हिन्दी संस्थान; आगरा 1983
- भारतीय भाषाओं का शिक्षण: राष्ट्रीय फोकस समूह का आधार पत्र; राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद; संस्करण 2009
- भाषा शिक्षण: हिन्दी भाग-1; राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद; संस्करण 2018
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (2023), राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद , नई दिल्ली
- शर्मा, रामविलस; भाषा और समाज; राजकमल प्रकाशन; नई दिल्ली; संस्करण 2008
- स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा(2023), राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद , नई दिल्ली Retrieved from: https://ncf.ncert.gov.in/webadmin/assets/ba0dd5d8-b8f9-4315-9e14-403752acdc26 (Chapter 2: Language education) Retrieved from https://www.ncert.nic.in/dee/pdf/PadanaHaihindi.pdf
- कुमार, कृष्ण; बच्चे की भाषा और अध्यापक; राष्ट्रीय पुस्तक न्यास; भारत; संस्करण 1996
- कौशिक, सोनिका (संपा.): 2015, पढ़ना है समझना: पढ़ने की प्रक्रिया से संबंधित लेखों का संकलन; राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद , नई दिल्ली
- तिवारी, भोलानाथ; भाषा विज्ञान प्रवेश; किताबघर प्रकाशन; नयी दिल्ली; संस्करण 2013
- पाण्डे, लता (संपा.): 2008, पढ़ना सिखाने की शुरुआत (और पढ़ने से संबंधित अन्य लेख); राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद , नई दिल्ली
- पाण्डे, लता (संपा.): 2008, पढ़ने की दहलीज पर (पढ़ने से संबंधित लेखों का संकलन); राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद , नई दिल्ली
- भारतीय भाषाओं का शिक्षण: राष्ट्रीय फोकस समूह का आधार पत्र; राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद; संस्करण 2009
- वर्मा, ब्रजेश्वर (संपा.); 1969, भाषाशिक्षण तथा भाषाविज्ञान, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा
- शर्मा, संतोष (संपा।): 2014, शिक्षण और अधिगम की सृजनात्मक पद्धतियाँ: माध्यमिक स्तर के शिक्षकों के लिए संदर्शिका; राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद , नई दिल्ली
- स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा(2023), राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद , नई दिल्ली
- कुमार, कृष्ण; बच्चे की भाषा और अध्यापक; राष्ट्रीय पुस्तक न्यास; भारत; संस्करण 1996
- भाषा और साक्षरता (प्रामाणिक लेखन): TESS-India.edu.in
- भाषा शिक्षण: हिन्दी भाग-1; राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद; संस्करण 2018
- मिश्र, अवनीश कुमार; लिखना: मौखिक से मौलिक की ओर; पाठशाला भीतर और बाहर सितंबर 2021. लिखने की शुरुआत: एक संवाद; राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद , नई दिल्ली, 2013
- लेखन कौशल- विकास एवं मॉनिटरिंग: TESS-India.edu.in (स्तर अनुसार पाठ्यपुस्तकों के विषयों से संबंधित परियोजनाएँ एवं कार्यशालाएँ)