Course Type | Course Code | No. Of Credits |
---|---|---|
Discipline Elective | NSOL1HN111 | 4 |
Course Coordinator and Team: SES Faculty
Email of course coordinator: pcbabed@aud.ac.in
Pre-requisites: No
- Course Description:
इस पाठ्यक्रम में भारतीय काव्यशास्त्र का समग्रता में अध्ययन किया जाएगा। इसमें भारतीय आचार्यों द्वारा प्रतिपादित काव्यशास्त्रीय चिंतन, दर्शन व सिद्धांतों पर विचार किया जाएगा। यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को संस्कृत आचार्यों द्वारा प्रतिपादित साहित्य चिंतन और दर्शन परंपरा से अवगत कराएगा। भारतीय काव्यशास्त्र पाठ्यक्रम में विभिन्न काव्यशास्त्रीय सिद्धांतों के उद्भावक आचार्यों से लेकर उनके संग्रहकर्ता आचार्यों, व्याख्याताओं और टीकाकारों के महत्वपूर्ण योगदानों से विद्यार्थी अवगत हो सकेंगे। इस पाठ्यक्रम के अध्ययन से विद्यार्थियों में भारतीय काव्यशास्त्र की चिंतन परंपरा का बोध विकसित करने में मदद मिलेगी। साथ ही यह उन्हें साहित्यिक समझ व आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करेगा।
- Course Objectives:
भारतीय काव्यशास्त्र के अध्ययन का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को भारतीय साहित्यिक परंपरा की गहराई, समृद्धि और सौंदर्यबोध से परिचित कराना है। यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को रस, ध्वनि, वक्रोक्ति, रीति, औचित्य आदि प्रमुख सिद्धांतों की सम्यक् समझ प्रदान करता है, जिससे वे काव्य की आंतरिक संरचना और उसके सौंदर्यात्मक पक्ष का विश्लेषण करने में सक्षम हो सकें। साथ ही, विभिन्न आचार्यों—जैसे भरतमुनि, भामह, वामन, आनंदवर्धन, मम्मट आदि—की काव्य दृष्टियों का तुलनात्मक अध्ययन कराना भी इस पाठ्यक्रम का अभिप्रेत है। इस अध्ययन से विद्यार्थियों में आलोचनात्मक दृष्टिकोण, कलात्मक संवेदनशीलता और साहित्यिक विवेक का विकास होता है, जिससे वे साहित्यिक रचनाओं का रसात्मक व तात्त्विक मूल्यांकन कर सकें। इस प्रकार यह पाठ्यक्रम भारतीय काव्यशास्त्र की गूढ़ता को सरलता से समझाने तथा विद्यार्थियों को एक सशक्त साहित्यिक दृष्टि प्रदान करने में सहायक सिद्ध होता है।
- Course Outcomes:
● विद्यार्थी भारतीय काव्यशास्त्र व दर्शन परंपरा से परिचित हो सकेंगे।
● भारतीय काव्यशास्त्र की काव्य संबंधी विभिन्न परंपराओं की जानकारी तथा सिद्धांतों की समझ विकसित होगी।
● भारतीय काव्य सिद्धांतों तथा उनके संग्रहों के आधार पर काव्य समीक्षा को समझ सकेंगे।
● विद्यार्थियों में आलोचनात्मक व तुलनात्मक दृष्टिकोण विकसित होगा।
- Brief description of the modules:
माड्यूल-1
भारतीय काव्यशास्त्र में काव्य को एक स्वतंत्र इकाई के रूप में चिन्हित कर उस पर विशद चिंतन और मनन किया गया है। काव्य सृजन की एक समृद्ध परंपरा के चलते इसकी कई कोटियां भी उपस्थित थीं। सृजन की इन विभिन्न कोटियों के चलते काव्य चिंतन परंपरा में काव्य के लक्षणों को निर्धारित करना भी एक महत्वपूर्ण प्रश्न रहा है। काव्य लक्षण के इस विषय को आचार्यों ने विभिन्न रूपों में प्रस्तुत किया है। चूंकि काव्य सृजन किसी न किसी प्रेरणा अथवा हेतु का परिणाम होता है और साथ ही उसके पीछे एक सुनिश्चित प्रयोजन भी शामिल होता है। अतः इस मॉड्यूल में, छात्र काव्य-लक्षण, काव्य-हेतु और काव्य-प्रयोजन के विषय में विभिन्न आचार्यों के मत और उनके द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों से परिचित हो सकेंगे। साथ ही काव्य में उपस्थित रस सिद्धांत का विस्तृत विवेचन इस मॉड्यूल में किया जाएगा। इस मॉड्यूल में काव्य संबंधी इन अवधारणाओं तथा सिद्धांतों के जरिए विद्यार्थियों में एक बौद्धिक समझ विकसित करने का प्रयास किया जाएगा।
निर्धारित विषय :
1. काव्य-लक्षण, काव्य-हेतु और काव्य-प्रयोजन।
2. रस सिद्धांत - रस की अवधारणा और रस निष्पत्ति।
3. साधारणीकरण।
माड्यूल-2
यह माड्यूल भारतीय काव्यशास्त्र के दो महत्वपूर्ण सिद्धांतों अलंकार और ध्वनि पर केंद्रित है। काव्य में अलंकरण के महत्व उसकी शोभा और वैविध्य को प्रदर्शित करने वाले इस सिद्धांत पर विभिन्न आचार्यों ने अपने महत्वपूर्ण मत प्रस्तुत किए हैं। इन मतों के जरिए छात्र काव्य में अलंकार की उपस्थिति और उसके महत्व से परिचित हो सकेंगे। वहीं काव्य में ध्वनि की महत्ता और उसकी स्थापना के प्रयोजन से संबंधित सिद्धांतों का ज्ञान भी छात्र इस मॉड्यूल के अंतर्गत प्राप्त कर सकेंगे।
निर्धारित विषय :
- अलंकार सिद्धांत: अलंकार की अवधारणा, अलंकार और अलंकार्य
- अलंकार का वर्गीकरण, अलंकार सिद्धांत और अन्य संप्रदाय।
- ध्वनि सिद्धांत : ध्वनि की अवधारणा एवं ध्वनि का वर्गीकरण।
माड्यूल 3
विद्यार्थी प्रस्तुत मॉड्यूल में रीति और वक्रोक्ति काव्य सिद्धांतों के आधार पर काव्य की विशेषता को समझेंगे। इस मॉड्यूल का मुख्य उद्देश्य इन सिद्धांतों के जरिए काव्य आलोचना पर एक संपूर्ण और समृद्ध अध्ययन प्रदान करना है। इन संप्रदायों से जुड़े विभिन्न आचार्यों द्वारा प्रतिपादित विभिन्न मतों और इनके भेदों से लेकर वर्गीकरण तक का अध्ययन इस मॉड्यूल में शामिल है।
निर्धारित विषय :
- रीति की अवधारणा, रीति और गुण।
- रीति का वर्गीकरण।
- वक्रोक्ति की अवधारणा, वक्रोक्ति का वर्गीकरण।
- वक्रोक्ति एवं अभिव्यंजनावाद।
माड्यूल-4
प्रस्तुत माड्यूल में औचित्य संप्रदाय का परिचय देते हुए काव्य में उसके सैद्धान्तिक तथा प्रयोगात्मक रूप से परिचित करवाया जाएगा। काव्य विवेचना में औचित्य और अनौचित्य के संदर्भ में विभिन्न आचार्यों के मतों को विद्यार्थी समझ सकेंगे। साथ ही हिन्दी काव्यशास्त्र की ऐतिहासिक रूपरेखा को रेखांकित करने का प्रयास किया जाएगा जिससे विद्यार्थी काव्यशास्त्र की एक समग्र समझ विकसित कर सकेंगे।
निर्धारित विषय :
- औचित्य सिद्धांत: औचित्य की अवधारणा।
- हिंदी काव्यशास्त्र का इतिहास: सामान्य परिचय।
Assessment Plan
S.No |
Assessment |
Weightage |
1 |
Assignment |
20% |
2 |
Presentation |
30% |
3 |
Term-End |
50% |
Readings:
- काव्य के तत्व, आचार्य देवेन्द्रनाथ शर्मा, लोकभारती प्रकाशन, दिल्ली।
- भारतीय काव्यशास्त्र, योगेंद्र प्रताप सिंह, लोकभारती प्रकाशन, दिल्ली।
- काव्य में उदात्त तत्व , डॉ नगेंद्र ।
- भारतीय काव्यशास्त्र की परंपरा, डॉ नगेंद्र, नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली।
- भारतीय एवं पाश्चात्य काव्यशास्त्र तथा हिन्दी आलोचना, डॉ रामचंद्र तिवारी, संजय बुक सेंटर, गोलघर, वाराणस
- भारतीय काव्य सिद्धांत, डॉ. नागेंद्र, डॉ तारक नाथ बाली, हिंदी माध्यम कार्यान्वय निदेशालय, दिल्ली विश्वविद्यालय।